देश की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार ने आर-पार की रणनीति अपनाने का इशारा दे दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज प्रधानमंत्री आवास पर कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की अहम बैठक शुरू हुई। इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और तीनों सेनाओं के प्रमुख मौजूद रहे।
यह बैठक पहलगाम आतंकी हमले के बाद CCS की दूसरी बड़ी बैठक है। इससे पहले 23 अप्रैल को, हमले के अगले ही दिन, पहली बैठक हुई थी।
बैठकों का सिलसिला यहीं नहीं थमा। CCS के बाद कैबिनेट कमेटी ऑन पार्लियामेंट्री अफेयर्स की बैठक बुलाई गई है, जिस अक्सर ‘सुपर कैबिनेट’ भी कहा जाता है। इसके बाद आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी और केंद्रीय कैबिनेट की बैठकें भी आज ही होंगी। यह चारों बैठकें एक ही दिन में होना देश की वर्तमान सुरक्षा स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।
पीएम ने दी सेनाओं को खुली छूट
मंगलवार को PM मोदी ने तीनों सेना प्रमुखों, NSA अजीत डोभाल और CDS जनरल अनिल चौहान के साथ डेढ़ घंटे की हाई लेवल मीटिंग की थी। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में प्रधानमंत्री ने सेनाओं को पूरी आज़ादी दी और स्पष्ट कहा, “आतंक के खिलाफ कार्रवाई का तरीका, समय और लक्ष्य सेनाएं खुद तय करें।” यह बयान देश की नीति में बड़ा बदलाव माना जा रहा है, जिसमें अब कार्रवाई की कमान पूरी तरह से सेना के हाथों में सौंप दी गई है।
बायसरन घाटी में मिला विस्फोटक, पाकिस्तान में मची हलचल
NIA को बायसरन घाटी में छापेमारी के दौरान 40 कारतूस मिले हैं, जो आतंकी साजिश की पुष्टि करते हैं। उधर पाकिस्तान में इस संभावित कार्रवाई को लेकर बेचैनी साफ दिख रही है। पाकिस्तान के IT मंत्री अताउल्लाह तारड़ ने मंगलवार देर रात दावा किया कि “भारत 24 से 36 घंटे में पाकिस्तान पर हमला कर सकता है। हमारे पास इसके ठोस इनपुट हैं।”
इस बयान से पाकिस्तान की घबराहट साफ झलकती है।
LOC पर फिर सीजफायर का उल्लंघन
पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान ने लगातार छठी बार सीजफायर तोड़ा है। बारामूला और कुपवाड़ा सेक्टर में गोलीबारी की गई, जिसका भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया। यह घटनाएं स्पष्ट रूप से दिखा रही हैं कि पाकिस्तान की ओर से सीमा पर तनाव बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।
अब ‘निंदा’ नहीं, ‘एक्शन’ का वक्त है
पिछले कुछ वर्षों में हमने आतंकी हमलों के बाद केवल कड़ी निंदा करते हुए देखा, लेकिन अब परिस्थितियां बदलती नजर आ रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी की रणनीति स्पष्ट है — अब जवाब सिर्फ बयानबाजी से नहीं, बल्कि कार्रवाई से दिया जाएगा। सेनाओं को ‘फ्री हैंड’ देना एक मजबूत संदेश है कि भारत अब ‘रक्षात्मक’ नहीं, बल्कि ‘आक्रामक रक्षा नीति’ की ओर बढ़ रहा है।
देश की जनता लंबे समय से यह चाहती रही है कि सीमा पार से होने वाली हरकतों पर ठोस जवाब दिया जाए। अब जब सेना के हाथ खुले हैं, तो आतंक और उसके सरपरस्तों को करारा जवाब मिलना तय है।

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