बेंगलुरु में AI इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के मामले में चार लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। इनमें उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, साले अनुराग सिंघानिया और चाचा ससुर सुशील सिंघानिया शामिल हैं।
अतुल के भाई बिकास कुमार की शिकायत के आधार पर मराठाहल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और धारा 3(5) (सामूहिक जिम्मेदारी) के तहत केस दर्ज किया है।
आत्महत्या से पहले रिकॉर्ड किया 1 घंटे 20 मिनट का वीडियो
अतुल ने आत्महत्या से पहले एक लंबा वीडियो बनाया था, जिसमें उन्होंने अपनी पीड़ा का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर उन्हें प्रताड़ित करने वाले दोषमुक्त हो जाएं, तो उनकी अस्थियां कोर्ट के बाहर गटर में बहा दी जाएं।
कमरे में मिला संदेश – “अभी न्याय बाकी है”
अतुल का शव उनके मंजूनाथ लेआउट स्थित फ्लैट में फंदे से लटका पाया गया। कमरे में एक तख्ती पर “जस्टिस इज ड्यू” (अभी न्याय बाकी है) लिखा हुआ मिला।
जज पर भी लगाए गंभीर आरोप
अतुल ने अपने सुसाइड नोट में उत्तर प्रदेश के जौनपुर की एक जज पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा कि जज ने मामला निपटाने के लिए 5 लाख रुपए मांगे थे। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी पत्नी और सास ने उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाया और इस पर जज हंस पड़ी थीं।
शादी के बाद शुरू हुई परेशानियां
अतुल ने 2019 में एक मैट्रिमोनियल साइट के जरिए निकिता से शादी की थी। 2020 में उनके बेटे का जन्म हुआ। लेकिन बाद में उनकी पत्नी और ससुराल वाले लगातार पैसों की मांग करने लगे। जब उन्होंने और पैसा देने से इनकार कर दिया, तो 2021 में उनकी पत्नी बेटा लेकर घर छोड़कर चली गई।
झूठे आरोप और बढ़ती मांगें
अतुल ने बताया कि उनकी पत्नी ने दहेज और अप्राकृतिक संबंधों का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ कई केस दर्ज किए। इतना ही नहीं, उनकी पत्नी ने उनके पिता की मौत के लिए भी उन्हें जिम्मेदार ठहराया। हालांकि, अतुल ने यह साफ किया कि उनके ससुर पहले से ही गंभीर बीमारियों से ग्रस्त थे।
3 करोड़ की मांग और मानसिक उत्पीड़न
अतुल के अनुसार, उनकी पत्नी ने केस सेटल करने के लिए पहले 1 करोड़ रुपए और बाद में 3 करोड़ रुपए की मांग की। जब उन्होंने यह बात जज को बताई, तो जज ने भी उनकी पत्नी का साथ दिया।
राष्ट्रपति को लिखा पत्र
अतुल ने अपने 24 पेज के सुसाइड नोट में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित करते हुए देश के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम की खामियों का जिक्र किया। उन्होंने झूठे मामलों में फंसाए जा रहे पुरुषों की स्थिति पर चिंता जताई।
पुलिस जांच जारी
पुलिस ने मामले में तत्परता दिखाते हुए आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। इस घटना ने समाज में झूठे केसों और आत्महत्या के कारणों पर गंभीर बहस छेड़ दी है।
निष्कर्ष
अतुल सुभाष की आत्महत्या न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्ष की ओर इशारा करती है, बल्कि समाज में झूठे आरोपों और न्याय व्यवस्था की खामियों पर भी गंभीर सवाल उठाती है। यह घटना पुरुषों की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और उनके लिए न्याय के अधिकार पर बहस छेड़ती है। पुलिस जांच के साथ-साथ समाज को भी इस मुद्दे पर आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है, ताकि ऐसे दुखद घटनाओं को रोका जा सके और न्याय की प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।
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