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AI इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या: उत्पीड़न, कानूनी संघर्ष और न्याय की आखिरी अपील

बेंगलुरु के AI इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या ने न केवल पूरे देश को झकझोर दिया, बल्कि घरेलू उत्पीड़न, कानूनी प्रणाली और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े गंभीर सवाल भी उठाए हैं। 9 दिसंबर 2024 को अतुल ने अपनी जान ले ली, लेकिन उससे पहले उसने एक दिल दहला देने वाला वीडियो जारी किया, जिसमें उसने अपने संघर्ष और उत्पीड़न की पूरी कहानी बयान की। अतुल का कहना था कि उसके पास आत्महत्या के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था।

आखिरी वीडियो और खुलासा

अतुल ने अपनी आत्महत्या से कुछ घंटे पहले 1 घंटे 20 मिनट का एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, जिसमें उसने अपने साथ हो रहे अत्याचार का खुलासा किया। वीडियो में अतुल ने बताया कि उसकी पत्नी निकिता सिंघानिया और सास समेत उनके परिवार के अन्य सदस्य लगातार पैसे की मांग करते रहे। हालाँकि, उसने लाखों रुपए दिए, लेकिन इन मांगों का कोई अंत नहीं हुआ। इसके परिणामस्वरूप 2021 में अतुल की पत्नी अपने बेटे को लेकर बेंगलुरु चली गई और फिर महीनों तक वह उसे अपने बेटे से मिलाने या बात करने से रोकती रही।

अतुल ने यह भी बताया कि उसके खिलाफ कई झूठे आरोप लगाए गए, जिनमें दहेज उत्पीड़न और हत्या तक शामिल थे। उसने अपनी पत्नी और उसके परिवार द्वारा कानूनी उत्पीड़न का आरोप लगाया और कहा कि यदि उन्हें सजा नहीं मिलती, तो वह अपनी अस्थियों को गटर में बहा देना चाहता था।

कानूनी कार्रवाई और FIR

अतुल के परिवार ने उसकी आत्महत्या के बाद उसकी पत्नी, सास, साले और चाचा ससुर के खिलाफ FIR दर्ज करवाई। पुलिस ने अतुल के भाई बिकास कुमार की शिकायत पर आत्महत्या के लिए उकसाने और सामूहिक जिम्मेदारी के तहत मामला दर्ज किया है। अतुल के भाई ने बताया कि अतुल लगातार झूठे आरोपों और कानूनी मामलों से जूझ रहा था, और इनका मानसिक रूप से उस पर भारी दबाव था। उन्होंने बताया कि अतुल ने आत्महत्या से पहले रात को अपने भाई को ईमेल किया था, जिसमें उसने अपनी स्थिति और उत्पीड़न का जिक्र किया था।

घरेलू उत्पीड़न कानूनों का दुरुपयोग

अतुल की मौत ने भारत के घरेलू उत्पीड़न कानूनों के दुरुपयोग का गंभीर सवाल उठाया है। भारतीय दंड संहिता की धारा 498-A (दहेज उत्पीड़न) जैसी धाराएं, जो महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाई गई हैं, कभी-कभी गलत तरीके से पुरुषों के खिलाफ इस्तेमाल हो रही हैं। अतुल के मामले में भी उसकी पत्नी ने उसे और उसके परिवार के सदस्यों पर दहेज उत्पीड़न, हत्या और अन्य झूठे आरोप लगाए, जो एक लंबी कानूनी लड़ाई का कारण बने। यह घटना इस बात का प्रतीक बन गई है कि कैसे कानूनी प्रणाली का दुरुपयोग पुरुषों के खिलाफ हो सकता है, जो पहले से ही मानसिक और आर्थिक उत्पीड़न का शिकार होते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य और पुरुषों के खिलाफ उत्पीड़न

अतुल का मामला यह भी दर्शाता है कि पुरुष भी घरेलू उत्पीड़न और मानसिक शोषण के शिकार हो सकते हैं, लेकिन यह अक्सर समाज और कानूनी प्रणाली से नजरअंदाज किया जाता है। अतुल ने अपने वीडियो में बताया कि वह मानसिक रूप से इस उत्पीड़न से टूट चुका था और उसे कोई रास्ता नहीं दिख रहा था। उसकी आत्महत्या ने यह सवाल उठाया है कि मानसिक स्वास्थ्य और घरेलू उत्पीड़न से जुड़े मामलों में पुरुषों के लिए कोई समान समर्थन और सुरक्षा क्यों नहीं है।

न्याय की आखिरी अपील

अतुल ने अपनी आत्महत्या के बाद न्याय की एक आखिरी अपील छोड़ी थी। उसने अपनी इच्छा जताई कि यदि उसे न्याय मिलता है, तो उसकी अस्थियाँ गंगा में विसर्जित की जाएं, अन्यथा, उसे न्याय न मिलने की स्थिति में उसकी अस्थियाँ अदालत के बाहर गटर में बहा दी जाएं। अतुल का यह संदेश न केवल उसके परिवार के लिए एक दर्दनाक विरासत बन गया, बल्कि यह देश के न्यायिक और कानूनी प्रणाली के सुधार की आवश्यकता को भी उजागर करता है।

अतुल सुभाष की आत्महत्या एक व्यक्तिगत त्रासदी से कहीं अधिक है। यह एक सशक्त संदेश है कि कानूनी प्रणाली में सुधार की जरूरत है, ताकि पुरुषों को भी न्याय मिल सके। इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे और घरेलू उत्पीड़न में पुरुषों को उचित समर्थन दिया जाए।