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भारतीय सेना और वायुसेना की लॉजिस्टिक क्षमता में वृद्धि के लिए GSV के साथ समझौता

नई दिल्ली में भारतीय सेना और वायुसेना ने वड़ोदरा स्थित गति शक्ति विश्वविद्यालय (GSV) के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। इस मौके पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान मौजूद थे।

क्या है समझौते का उद्देश्य?

इस समझौते का मुख्य उद्देश्य भारतीय सशस्त्र बलों की लॉजिस्टिक क्षमता को बढ़ाना है। रेल मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया, “यह MoU भारत की सैन्य कार्यवाहियों की लॉजिस्टिक रीढ़ को और मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”

समझौते पर क्या कहा रक्षा और रेल मंत्रियों ने?

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने GSV की भूमिका पर विश्वास जताते हुए कहा, “गति शक्ति विश्वविद्यालय का फोकस लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में शिक्षा और अनुसंधान पर है। हमने GSV को यह लक्ष्य दिया है कि यहां से स्नातक होने वाले छात्रों को तीसरे साल तक कम से कम दो नौकरी के प्रस्ताव मिलें, ताकि वे नौकरी का चयन कर सकें या खुद का व्यवसाय शुरू कर सकें।”

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बलों की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “हमारे सशस्त्र बल जिन परिस्थितियों में कार्य करते हैं, वहां सैनिकों, उपकरणों और आपूर्ति की निर्बाध आवाजाही की आवश्यकता होती है। यह समझौता ज्ञान, नवाचार और सहयोग के माध्यम से इन आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।”

समझौते का महत्त्व

इस समझौते से यह उम्मीद की जा रही है कि भारतीय सेना और वायुसेना की लॉजिस्टिक आवश्यकताएं शिक्षा और अनुसंधान के माध्यम से पूरी होंगी। साथ ही, GSV के छात्र अपने करियर के प्रारंभिक चरण में ही रोजगार के कई अवसर पा सकेंगे।

कैसे होगा इस समझौते से लाभ?

यह समझौता भारतीय सशस्त्र बलों की लॉजिस्टिक चुनौतियों को हल करने के लिए एक बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है। इसके तहत, सशस्त्र बलों की ट्रूप्स, उपकरण और आपूर्ति की निर्बाध आवाजाही को सुचारू बनाने के लिए GSV के छात्रों और शोधकर्ताओं द्वारा नवीन तकनीक और समाधान विकसित किए जाएंगे।

यह समझौता न केवल सैन्य बलों की लॉजिस्टिक क्षमता को मजबूत करेगा, बल्कि देश के युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर भी प्रदान करेगा। GSV के छात्रों को न केवल बेहतर शिक्षा मिलेगी, बल्कि उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण योगदान करने का अवसर भी मिलेगा। यह कदम न केवल तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देगा, बल्कि सशस्त्र बलों की कार्यक्षमता में भी सुधार लाएगा।

साथ ही, यह इस बात का प्रमाण है कि शिक्षा और रक्षा जैसे क्षेत्रों के बीच सहयोग से देश की सुरक्षा में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा सकती है। हमारे सशस्त्र बलों की निरंतर उन्नति और कुशलता के लिए ऐसे सहयोग आवश्यक हैं, जो न केवल ज्ञान के स्तर को बढ़ाते हैं, बल्कि नवाचार को भी प्रोत्साहित करते हैं।