जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद, मंगलवार रात सीमा पार भारतीय सेना द्वारा आतंकी कैंपों पर हमला कर उन्हें ध्वस्त कर दिया गया। इस कार्रवाई के बाद सूरत और भावनगर के उन पीड़ितों की प्रतिक्रिया सामने आई है, जिन्होंने इस आतंकी हमले में अपने पति और बेटे को खो दिया था। उन्होंने सरकार की इस कार्रवाई के बाद न्याय के लिए आभार व्यक्त किया है और पीड़ित परिवारों के लिए सहायता की मांग की है। इसके अलावा, उन्होंने भारतीय सेना और प्रधानमंत्री मोदी से आतंकवादियों का नामोनिशान मिटा देने की मांग करते हुए सेना का आभार जताया है।
‘अब मेरे पति की आत्मा को शांति मिलेगी’
पहलगाम आतंकी हमले में अपने पति शैलेश कथारिया को खोने वाली सूरत की पीड़िता ने कहा, “अब मेरे पति की आत्मा को शांति मिलेगी। मुझे अपनी सरकार पर पूरा भरोसा है। आज पता चला कि आतंकवादियों को ढूंढ-ढूंढकर उनके अड्डों पर जाकर मारा गया है, यह सुनकर मेरे पति की आत्मा को आज शांति मिली होगी। उनके साथ जिन अन्य लोगों की जान गई है, उन्हें भी शांति मिली होगी। इसके साथ ही, मैं सरकार से अपील करती हूं कि जिस तरह महाराष्ट्र सरकार ने पीड़ित परिवारों को सहायता की है, उसी तरह गुजरात सरकार भी पीड़ितों की सहायता करे, जिससे हमारे बच्चों को न्याय मिले।”
पति की मौत पर मंत्रियों के सामने व्यक्त किया आक्रोश
गौरतलब है कि सूरत के शैलेश कथारिया अपने परिवार के साथ कश्मीर घूमने गए थे, तभी आतंकी हमले में उनकी जान चली गई थी। जब उनके पार्थिव शरीर को सूरत लाया गया, तो उनकी पत्नी शीतल कथारिया का गुस्सा फूट पड़ा था। उन्होंने सांत्वना देने आए केंद्रीय और राज्य सरकार के मंत्रियों के सामने अपना आक्रोश व्यक्त किया था और तीखे सवाल पूछे थे कि जब आतंकी हमला हुआ, तब सरकार और सेना क्या कर रही थी।
‘मोदीजी मेरे लिए भगवान हैं…’
इसके अलावा, भावनगर की उस पीड़िता की भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद प्रतिक्रिया सामने आई है, जिसने पहलगाम हमले में अपने पति और बेटे को खो दिया है। उन्होंने कहा, “जो दुख मेरे सिर पर पड़ा है, वैसी विपदा भारत देश की मेरी किसी भी मां-बेटी के सिर पर न पड़े, यही प्रार्थना करती हूं। मोदीजी मेरे लिए भगवान हैं। भारतीय सेना ने हमें जो साथ और सहयोग दिया, उसकी मैं जिंदगी भर आभारी रहूंगी। सेना के इस हमले से मुझे बहुत शांति मिली है। मैं तो यही चाहती हूं कि इन लोगों का नामोनिशान मिटा दो। मुझे अपनी भारतीय सेना पर बहुत-बहुत गर्व है। मैं मोदी साहब की बहुत आभारी हूं।”
बेटा-पति खोने वाली पीड़िता का छलका दुख
पहलगाम हमले में मारे गए यतीश परमार की पत्नी ने आतंकी हमले के दौरान हुई घटना बताते हुए कहा, “हम मोरारी बापू की कथा के बाद 12 लोग पहलगाम गए थे, हालांकि हमारा मन नहीं था, फिर भी घोड़ेवालों के कहने पर हम 12 लोग ऊपर पहुंचे। जैसे ही हम वहां ऊपर पहुंचे, पांच मिनट में वहां फायरिंग शुरू हो गई। हम देखने जा रहे थे, तभी हमारे चाचा ने हमें भाग जाने को कहा। हम भाग रहे थे, तभी अचानक मेरे बेटे और पति को जमीन पर सो जाने को कहा गया और वे सो गए। मैं पीछे मुड़कर देखती, तब तक उन्हें गोली मार दी गई थी। मैं अपने बेटे को लेने गई, तो मेरा पति और बेटा खून से लथपथ थे। लेकिन, अब मैं इतना ही कहना चाहती हूं कि जो दुख मेरे सिर पर पड़ा है, वैसा दुख भारत देश की मेरी किसी भी मां-बेटी के सिर पर न पड़े, यही प्रार्थना करती हूं।”
इन पीड़ितों की प्रतिक्रियाएं ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद एक मिश्रित भावना दर्शाती हैं। जहां उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद जगी है, वहीं अपने प्रियजनों को खोने का गहरा दुख अभी भी उनके दिलों में बसा हुआ है। उनकी मांग है कि सरकार न केवल आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जारी रखे, बल्कि पीड़ित परिवारों को उचित सहायता भी प्रदान करे, ताकि वे इस असहनीय क्षति से उबर सकें।

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