सर्दियों में आपने एक चीज नोटिस की होगी कि तापमान में गिरावट होते ही लोगों के मुंह से धुआं निकलना शुरू हो जाता है। बचपन में आपने या फिर आज भी अक्सर बच्चों को आप कई बार यह खेल आपसे में खेलते देखते भी होंगे। पर क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है।
ठंड बढ़ते ही मुंह से भाप निकलने लगती है। पर क्या आपने कभी सोचा है कि ये भाप हमारे मुंह में आखिर आती कहां से हैं? सर्दियों में मुंह से निकलने वाली भाप आखिर गर्मियों के मौसम में कहां चली जाती है।
क्यों निकलती है मुंह से भाप?-
मानव शरीर का औसत तापमान 18.6 डिग्री फेरेनहाइट होता है। सर्दियों में सांस छोड़ते समय यही गर्मी उसके साथ होकर बाहर निकलती है। जैसे ही गर्म हवा शरीर से बाहर निकलकर ठंडे परिवेश में पहुंचती है, उसका वाष्पीकरण शुरू हो जाता है। यही कारण है कि सर्दियों में मुंह से सांस छोड़ते समय भाप निकलती नजर आती है।
गर्मियों में क्यों नहीं निकलती मुंह से भाप?-
दरअसल, गर्मियों में बाहर का तापमान शारीरिक तापमान से कम नहीं होता। ऐसे में जब नमी शरीर से बाहर निकलती है तो इसके अणुओं की गतिज ऊर्जा कम नहीं होती है और वे दूर दूर ही रहते हैं। जिसका मतलब है कि नमी गैसीय अवस्था में ही रहती है। यही वजह है कि नमी, भाप या पानी की बूंदों में नहीं बदलती है।
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