04-06-22
इसी साल मार्च में आई फिल्म द कश्मीर फाइल्स में 90 के दशक में हुए कश्मीरी पंडितों के पलायन का दर्द दिखाया गया था। कश्मीर में 32 साल बाद फिर वही नजारा है। आतंकियों द्वारा हिंदुओं की टारगेटेड किलिंग से कश्मीरी पंडितों के साथ-साथ कश्मीरी हिंदुओं का पलायन शुरू हो गया है। अब तक 80 प्रतिशत लोग कश्मीर छोड़कर जम्मू शिफ्ट हो गए हैं।
घाटी में प्रधानमंत्री पैकेज और अनुसूचित जाति जैसी श्रेणियों में करीब 5,900 हिंदू कर्मचारी हैं। इनमें 1,100 ट्रांजिट कैंपों के आवास में, जबकि 4700 निजी आवासों में रह रहे हैं। पाबंदियों के बावजूद निजी आवास और कैंप में रहने वाले कर्मचारियों में से 80 फीसदी कश्मीर छोड़कर जम्मू पहुंच गए हैं। अनंतनाग, बारामुला, श्रीनगर के कैंप के कई परिवार पुलिस-प्रशासन के पहरे के कारण नहीं निकल पा रहे हैं।
पुलिस अधिकारी कैंपों का नियमित दौरा कर रहे हैं, जिससे पंडितों को दूसरे पलायन से रोका जा सके। हाल में उप राज्यपाल मनोज सिन्हा से मिले दल का हिस्सा रहे कश्मीरी पंडित ने कहा- हम डिप्रेशन में हैं। एक कर्मचारी ने कहा, 12 साल पहले आए थे, तब खुद को सरकार का एंबेसडर मानते थे, लेकिन हमें स्वीकार नहीं किया गया। हम फिर नहीं लौटना चाहते।
श्रीनगर के अमित जाडू बताते हैं, निजी आवास वाले अधिकांश कर्मचारी जा चुके हैं। उन्हें कोई सुरक्षा नहीं मिली थी। हर जगह डर का माहौल है। जो लोग यहां हैं, वे घरों में बंद हैं। 10 साल में कर्मचारियों को सरकारी आवास नहीं मिल सका। अब 2023 का आश्वासन दिया जा रहा है, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होगी।
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