दिल्ली की राजनीति में नया मोड़ आया है। आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उनके उम्मीदवारों को पार्टी छोड़ने के लिए 15-15 करोड़ रुपये के ऑफर दिए जा रहे हैं। केजरीवाल का दावा है कि कई आप उम्मीदवारों को ऐसे फोन कॉल आए हैं।
आपात बैठक बुलाई गई
केजरीवाल ने इन कथित खरीद-फरोख्त के प्रयासों के जवाब में सभी 70 आप उम्मीदवारों की सुबह 11:30 बजे एक आपात बैठक बुलाई। इस मुद्दे पर बात करते हुए उन्होंने कहा, “अगर उनके मुताबिक उनकी पार्टी 55 से ज्यादा सीटें जीत रही है, तो फिर हमारे उम्मीदवारों को तोड़ने की कोशिश क्यों की जा रही है? जाहिर है कि ये फर्जी सर्वे माहौल बनाने के लिए कराए गए हैं।”
भाजपा की प्रतिक्रिया: कानूनी कार्रवाई की धमकी
भाजपा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए केजरीवाल को कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि केजरीवाल आरोप वापस लें, नहीं तो पार्टी उनके खिलाफ कानूनी कदम उठाएगी। “ये बेबुनियाद आरोप हैं और हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे,” प्रवक्ता ने कहा।
उम्मीदवारों की गवाही ने किया समर्थन
केजरीवाल के दावों का समर्थन करते हुए आप के सुल्तानपुर मजरा उम्मीदवार मुकेश अहलावत ने खुलासा किया कि उन्हें एक कॉल आया था जिसमें उन्हें 15 करोड़ रुपये और मंत्री पद का ऑफर दिया गया। “उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बन रही है, लेकिन मैं आम आदमी पार्टी कभी नहीं छोड़ूंगा,” अहलावत ने कहा।
एग्जिट पोल में मिले मिश्रित संकेत
यह विवाद तीन नए एग्जिट पोल जारी होने के बाद सामने आया है, जिनमें पहले से ही परस्पर विरोधी अनुमानों की भरमार थी। 14 में से 12 एग्जिट पोल भाजपा को बहुमत दे रहे हैं, जबकि दो आप की संभावित जीत की बात कर रहे हैं। एक्सिस माई इंडिया के अनुसार, भाजपा 45 से 55 सीटें जीत सकती है, जबकि अन्य पोल इसे 61 तक पहुंचा रहे हैं। औसत अनुमान में भाजपा को 41, आप को 28 और कांग्रेस को सिर्फ एक सीट मिलती दिख रही है।
राजनीतिक रणनीति या हताशा?
केजरीवाल के आरोप गंभीर सवाल उठाते हैं कि क्या यह चुनावी नैतिकता की गिरावट का संकेत है या फिर राजनीतिक हताशा। यदि यह आरोप सही हैं तो यह लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए चिंताजनक है। दूसरी ओर, भाजपा का सख्त इनकार और कानूनी कार्रवाई की धमकी उनके दृढ़ संकल्प को दर्शाता है।
ये आरोप और प्रत्यारोप यह याद दिलाते हैं कि भारत में स्वच्छ और पारदर्शी राजनीति की आवश्यकता है। जनता को ऐसे प्रतिनिधि चाहिए जो जनता की सेवा के प्रति प्रतिबद्ध हों, न कि वित्तीय प्रलोभनों से प्रभावित। चुनाव आयोग को इन आरोपों की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए ताकि चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके।
दिल्ली के अंतिम चुनाव परिणामों का इंतजार है, लेकिन उम्मीद यही की जानी चाहिए कि लोकतंत्र की जीत हो और राजनीतिक ईमानदारी बरकरार रहे।
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