अमेरिका में एक अभूतपूर्व विरोध आंदोलन की गूंज सुनाई दी जब हजारों लोगों ने राष्ट्रपति आवास व्हाइट हाउस को चारों ओर से घेर लिया। यह केवल एक प्रदर्शन नहीं था, बल्कि एक सुनियोजित जनविद्रोह था जिसे नाम दिया गया – “50501” यानी 50 राज्य, 50 प्रदर्शन, 1 आंदोलन।
इस विरोध की लहर सिर्फ वॉशिंगटन डीसी तक सीमित नहीं रही – देश के कोने-कोने में लोग ट्रम्प और एलन मस्क की नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतर आए। न्यूयॉर्क से लेकर फ्लोरिडा तक, कैलिफोर्निया से टेक्सास तक – हर दिशा में पोस्टरों, नारों और जनसैलाब का दृश्य देखने को मिला।
पोस्टर बोले – “ट्रम्प को अल सल्वाडोर की जेल में भेजो!”
प्रदर्शनकारियों के हाथों में पोस्टर थे जो खुद ही कह रहे थे कि अमेरिका में असंतोष अब सड़कों पर खुलकर फूट पड़ा है। एक महिला ने पोस्टर पर लिखा था – “ट्रम्प गंदगी से भरे हैं, टॉयलेट्स को उनसे जलन हो रही है!” वहीं एक अन्य प्रदर्शनकारी ने एलन मस्क पर कटाक्ष करते हुए तख्ती लहराई – “न कोई राजा है, न कोई कुलीन – टैक्स भरो!”
ट्रम्प और मस्क – जनआक्रोश के दो चेहरे
इस आंदोलन की दो प्रमुख वजहें थीं – ट्रम्प की कठोर टैरिफ वॉर नीतियां और एलन मस्क के नेतृत्व में टेक्नोलॉजी कंपनियों द्वारा हो रही भारी पैमाने पर छंटनी। बताया जा रहा है कि एलन मस्क के दक्षता विभाग ने हजारों सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है।
वहीं, ट्रम्प की नीतियों ने विदेशों से आयात होने वाली वस्तुओं पर भारी शुल्क लगाकर आम अमेरिकी की जेब पर सीधा असर डाला है। परिणामस्वरूप, रोजमर्रा की चीज़ें महंगी हो गई हैं, जिससे जनता में गुस्सा साफ नजर आ रहा है।
जनता की राय – ट्रम्प की रेटिंग अब भी कम
गैलप के ताजा सर्वे के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रम्प के वर्तमान कार्यकाल की शुरुआती तिमाही में 45% वोटर्स ही उनके कामकाज से संतुष्ट हैं। यह आंकड़ा उनके पहले कार्यकाल (41%) से थोड़ा बेहतर जरूर है, लेकिन 1952 से 2020 के बीच औसतन 60% राष्ट्रपति अप्रूवल रेटिंग की तुलना में बहुत पीछे है।
यह विरोध सिर्फ नारों का शोर नहीं है, यह उस अमेरिका की आवाज़ है जो न्याय, समानता और पारदर्शिता चाहता है। ट्रम्प और मस्क जैसे ताकतवर नाम जब अपने प्रभाव का इस्तेमाल आम जनता के खिलाफ करने लगते हैं, तो सड़कों पर उतरी ये भीड़ लोकतंत्र का असली चेहरा बन जाती है।
इस आंदोलन ने यह जता दिया है कि अमेरिका में जनता अब और सहन नहीं करेगी। वह जवाब मांग रही है – न सिर्फ महंगाई का, बल्कि उन नीतियों का जो जनविरोधी हैं।
“50501 आंदोलन” सिर्फ एक तारीख नहीं, एक चेतावनी है – कि सत्ता में बैठे लोगों को अब जनता की आंखों में झांकना पड़ेगा। चाहे वो राष्ट्रपति हो या दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति।
आप क्या सोचते हैं? क्या यह विरोध अमेरिका में बदलाव की शुरुआत है?

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