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Thursday, March 6   4:35:12
Ramnath Geelanath Temple

भारत का ऐसा मंदिर जहां भगवान शिव पर चढ़ाए जाते हैं जिंदा केकड़े

Ramnath Geelanath Temple: भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जिनकी परंपराएं अनोखी और चमत्कारी हैं, लेकिन सूरत के उमरगाम में स्थित रामनाथ गीलानाथ मंदिर इनसे भी एक कदम आगे है। इस पवित्र स्थल की खासियत है कि यहां भगवान शिव के शिवलिंग पर जीवित केकड़े चढ़ाए जाते हैं। यह परंपरा जितनी अद्भुत है, उतनी ही दिलचस्प इसकी कहानी भी है, जिसका इतिहास त्रेता युग से जुड़ा हुआ है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रेता युग में जब भगवान श्रीराम अपने पिता राजा दशरथ का तर्पण करने के लिए उमरगाम आए, तब उन्होंने ताप्ती नदी के किनारे भगवान शिव की उपासना की। भगवान शिव की प्रार्थना करते समय एक अद्भुत घटना घटी—शिवलिंग स्वप्रकट हुआ। लेकिन तर्पण के दौरान एक समस्या आई।

तर्पण की प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए साक्षी का होना आवश्यक था। उस समय कोई मानव वहां मौजूद नहीं था। तभी कुछ जीव-जंतु, खासकर केकड़े, भगवान श्रीराम की मदद के लिए पहुंचे। श्रीराम ने इन केकड़ों को भगवान शिव के सामने साक्षी के रूप में प्रस्तुत किया।

शिवलिंग पर केकड़े चढ़ाते हुए भगवान श्रीराम ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि यह परंपरा युगों-युगों तक कायम रहे। तभी से रामनाथ गीलानाथ मंदिर में भगवान शिव को जीवित केकड़े चढ़ाने की यह प्रथा चली आ रही है।

आध्यात्मिक महत्व और अद्वितीय परंपरा
मंदिर में शिवलिंग पर जीवित केकड़े चढ़ाने की यह परंपरा भक्तों के लिए आध्यात्मिक श्रद्धा और भगवान शिव की असीम कृपा का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग पर चढ़ाए गए केकड़े भगवान शिव के प्रति समर्पण और भक्ति का प्रतीक होते हैं।

भक्तों का विश्वास है कि इस परंपरा को निभाने से सभी प्रकार की बाधाओं का नाश होता है और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यही वजह है कि यह मंदिर दूर-दूर से श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचता है।

पर्यावरण और संस्कृति का मेल
जीवित केकड़े चढ़ाने की इस परंपरा में पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश छिपा है। मंदिर के पुजारी और स्थानीय लोग इन केकड़ों को पूजा के बाद सुरक्षित नदी में छोड़ देते हैं। यह एक अद्भुत उदाहरण है कि कैसे धार्मिक आस्था और प्रकृति संरक्षण एक साथ चल सकते हैं।

उमरगाम का यह मंदिर क्यों खास है?
यह मंदिर भगवान शिव के उन अनोखे स्थानों में से एक है, जहां त्रेता युग से चली आ रही परंपराएं आज भी जीवंत हैं।
मंदिर की पौराणिकता और अनूठी प्रथा इसे गुजरात का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र बनाती है।
यहां हर साल शिवरात्रि और अन्य शिव-पर्वों पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

अगर आप आस्था, परंपरा और प्रकृति का संगम देखना चाहते हैं, तो रामनाथ गीलानाथ मंदिर की यात्रा अवश्य करें। यह सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि हमारे इतिहास, संस्कृति और प्रकृति के अनूठे मेल का प्रतीक है। आइए, उमरगाम के इस चमत्कारी मंदिर के दर्शन करें और भगवान शिव की अनोखी महिमा का अनुभव करें।