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जम्मू-कश्मीर में रहस्यमय मौतों का सिलसिला: 9 वर्षीय बच्ची की मौत के बाद बढ़ा डर, क्या यह कोई अज्ञात बीमारी है?

राजौरी के बधाल गांव में फैली दहशत
जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के बधाल गांव में पिछले डेढ़ महीने से रहस्यमय मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार (15 जनवरी) को 9 वर्षीय बच्ची की मौत के बाद अब तक कुल 15 लोगों की जान जा चुकी है। इन मौतों ने गांव के तीन परिवारों को गहरे सदमे में डाल दिया है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने विशेष जांच दल (SIT) का गठन कर जांच शुरू कर दी है।

मौतों का रहस्य: बीमारी या कुछ और?
हालांकि शुरुआती जांच में स्वास्थ्य मंत्री सकीना मसूद ने किसी रहस्यमय बीमारी की संभावना से इनकार किया है। उनके अनुसार, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा किए गए सभी परीक्षण नेगेटिव आए हैं। यहां तक कि पानी और खाने के नमूनों में भी कोई जहरीला तत्व नहीं मिला।

स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा कि यदि यह किसी बीमारी के कारण होता, तो यह केवल तीन परिवारों तक सीमित नहीं रहती, बल्कि तेजी से फैलती। लेकिन फिर भी, इन मौतों का एक के बाद एक होना सवाल खड़े करता है।

क्या है ‘न्यूरोटॉक्सिन’ का कनेक्शन?
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मृतकों के नमूनों में न्यूरोटॉक्सिन पाए गए हैं, जो इस रहस्यमय घटनाक्रम को और जटिल बनाता है। हालांकि, मंत्री ने कहा कि जब तक पूरी जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक कोई निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी।

फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार
सरकार ने पुणे के ICMR, दिल्ली के NCDC, ग्वालियर के DRDO और पीजीआई चंडीगढ़ जैसे संस्थानों की मदद ली है। लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है। प्रशासन फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है ताकि मौतों की सही वजह का पता लगाया जा सके।

जिम्मेदारी और सतर्कता की जरूरत
इन मौतों का रहस्यमय तरीके से जारी रहना प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की बड़ी विफलता को दर्शाता है। यदि यह बीमारी नहीं है, तो क्या यह कोई पर्यावरणीय समस्या है, या कुछ और? SIT को तेजी से और निष्पक्षता के साथ जांच करनी चाहिए। वहीं, गांव के लोगों को इस दौरान सावधानी बरतनी चाहिए और प्रशासन को पारदर्शी तरीके से काम करना चाहिए।

इस मामले में सरकार और जांच दल को जल्द से जल्द सच्चाई का खुलासा करना चाहिए, ताकि ग्रामीणों का भय दूर हो और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।