नोएडा का एक पॉश इलाका, आलीशान कोठी और अंदर चल रहा था एक गुप्त पोर्न स्टूडियो। विदेशों से जुड़ा यह नेटवर्क करोड़ों की अवैध कमाई कर रहा था, जिसकी भनक प्रवर्तन निदेशालय (ED) को लगी। 28 मार्च को नोएडा के सेक्टर-105 में स्थित कोठी नंबर C-234 पर जब ED ने छापा मारा, तो वहां का नजारा हैरान करने वाला था। हाई-टेक कैमरों और विशेष लाइटिंग से सुसज्जित इस स्टूडियो में एडल्ट कंटेंट की शूटिंग होती थी, जिसे साइप्रस की एक कंपनी की मदद से पोर्न वेबसाइट्स पर लाइव स्ट्रीम किया जाता था।
कैसे हुआ खुलासा?
इस कपल द्वारा चलाई जा रही कंपनी “सबडिजी वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड” के खातों में हुए 23 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेनदेन ने जांच एजेंसियों का ध्यान खींचा। फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन्स की पड़ताल में सामने आया कि ये फंड सोशल मीडिया विज्ञापन और मार्केट रिसर्च के नाम पर दिखाए गए, लेकिन असल में यह पैसा एडल्ट कंटेंट की लाइव स्ट्रीमिंग से आ रहा था।
रात के अंधेरे में चलता था मॉडल्स का आना-जाना
स्थानीय निवासियों के मुताबिक, इस कोठी में रात के वक्त ब्लैक फिल्म लगी गाड़ियों में मॉडल्स को लाया जाता था। यहां उन्हें इस गोरखधंधे में शामिल किया जाता और लाइव स्ट्रीमिंग के लिए मजबूर किया जाता था। मॉडल्स को महीने में 1-3 लाख रुपये तक कमाने का लालच दिया जाता, लेकिन उन्हें यह नहीं बताया जाता था कि उनका कंटेंट किन वेबसाइट्स पर इस्तेमाल किया जाएगा।
कैसे होती थी कमाई?
यह पूरा बिजनेस वर्चुअल टोकन्स के जरिये चलता था। यूजर्स को कंटेंट देखने के लिए टोकन खरीदने होते थे। 1 टोकन की कीमत 12 रुपये थी और एक घंटे तक एक्सक्लूसिव कंटेंट देखने के लिए यूजर को 5,760 रुपये तक चुकाने पड़ते थे। हर मॉडल के वीडियो से प्रतिघंटे 50 हजार से 5 लाख रुपये तक की कमाई होती थी, जिसका 75% हिस्सा डायरेक्टर कपल के पास जाता था।
यह सिर्फ गैरकानूनी ही नहीं, बल्कि नैतिक रूप से भी गलत है!
यह पूरी घटना हमारे समाज में डिजिटल अपराधों के खतरनाक स्तर को दर्शाती है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स की आड़ में इस तरह के गंदे काम तेजी से बढ़ रहे हैं, जिन पर सख्त कानूनों की जरूरत है। यह न केवल महिलाओं के शोषण को बढ़ावा देता है, बल्कि देश की युवा पीढ़ी के नैतिक मूल्यों को भी नुकसान पहुंचा रहा है।
सवाल यह है कि ऐसी गैरकानूनी गतिविधियां पॉश इलाकों में कैसे चल रही हैं? सिक्योरिटी गार्ड्स, मकान मालिक और प्रशासन आखिर क्यों अंधे बने हुए थे? यह कोई मामूली मामला नहीं है—यह संगठित अपराध है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क भी शामिल हो सकता है।
क्या करना चाहिए?
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कानूनी सख्ती: भारत में पोर्नोग्राफी से जुड़े मामलों में कड़े कानून तो हैं, लेकिन उनकी सख्ती से पालना नहीं होती।
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डिजिटल ट्रांजैक्शन्स की गहन जांच: साइप्रस, नीदरलैंड जैसी कंपनियों के नाम पर फंड ट्रांसफर करने वालों पर कड़ी नजर रखनी होगी।
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सोशल मीडिया पर निगरानी: फेसबुक और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर मॉडल हायर करने के नाम पर चल रहे गोरखधंधे को तुरंत रोका जाना चाहिए।
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युवाओं को जागरूक करना: ऑनलाइन जॉब्स के नाम पर फंसने से पहले लड़कियों को सतर्क रहना होगा और संदिग्ध ऑफर्स की रिपोर्ट करनी होगी।
नोएडा की इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि डिजिटल युग में अपराध भी हाई-टेक हो चुका है। अब वक्त आ गया है कि सरकार और समाज मिलकर इन पर कड़ी कार्रवाई करें, ताकि अगली पीढ़ी को इस गंदगी से बचाया जा सके।

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