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दिल्ली में चुनाव नतीजों से पहले ही दलबदल के डर से AAP में खलबली, केजरीवाल ने बुलाई बैठक

दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले आम आदमी पार्टी (AAP) ने अपने सभी 70 उम्मीदवारों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में चुनाव परिणामों के दिन की तैयारियों और विधायकों पर पार्टी छोड़ने के आरोपों पर चर्चा की जाएगी। AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर उनके विधायकों को खरीदने का आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि AAP विधायकों और उम्मीदवारों को 15 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई है।

अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “कुछ एजेंसियां दिखा रही हैं कि भाजपा को 55 से अधिक सीटें मिल रही हैं। लेकिन पिछले दो घंटों में हमारे 16 उम्मीदवारों को फोन कर कहा गया है कि AAP छोड़कर भाजपा में आ जाओ, मंत्री बना देंगे और 15 करोड़ रुपये भी देंगे। अगर भाजपा को सच में 55 से अधिक सीटें मिल रही हैं, तो फिर हमारे उम्मीदवारों को तोड़ने की जरूरत क्यों पड़ रही है? साफ है कि यह एक सोची-समझी रणनीति है ताकि हमारे उम्मीदवारों को हराने के लिए माहौल बनाया जा सके। लेकिन मैं भरोसा दिलाता हूँ कि हमारा कोई भी विधायक नहीं टूटेगा।”

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी का बयान

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने भी सोशल मीडिया पर लिखा, “अगर भाजपा को 50 से अधिक सीटें मिल रही हैं, तो वे हमारे उम्मीदवारों को तोड़ने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? इससे साफ पता चलता है कि एग्जिट पोल का इस्तेमाल AAP विधायकों को तोड़ने की साजिश के रूप में किया जा रहा है।”

सुल्तानपुर मजरा से भी आया बयान

आतिशी ने सुल्तानपुर मजरा से AAP उम्मीदवार और दिल्ली के मंत्री मुकेश अहलावत की पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए कहा कि, “मैं मर जाऊंगा, लेकिन अरविंद केजरीवाल जी का साथ कभी नहीं छोड़ूंगा। मुझे एक अनजान नंबर से फोन आया और कहा गया कि हमारी सरकार बनने वाली है, आपको मंत्री बनाएंगे और 15 करोड़ रुपये भी देंगे, बस AAP छोड़ दें। लेकिन मैं कहना चाहता हूँ कि केजरीवाल जी और AAP ने जो सम्मान दिया है, उसके लिए मैं मरते दम तक पार्टी के साथ रहूंगा।

दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले AAP और भाजपा के बीच सियासी संग्राम तेज हो गया है। आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि भाजपा उनके विधायकों को खरीदने की कोशिश कर रही है, जबकि भाजपा ने इन आरोपों को खारिज किया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनावी नतीजे आने के बाद दिल्ली की राजनीति में क्या नया मोड़ आता है।