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Wednesday, March 12   12:47:59

एक कटोरी अनाज और पूरे गांव के सिर से उड़ गए बाल! सरकारी गेहूं बना आफत ;जानिए डरावनी सच्चाई

बुलढाणा में बालों की बरसात, गांववालों में खौफ

महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के 18 गांवों में एक रहस्यमयी समस्या ने लोगों को हिला कर रख दिया। दिसंबर 2024 और जनवरी 2025 के बीच, 279 लोगों के बाल तेजी से झड़ने लगे। ये समस्या इतनी गंभीर थी कि कई लोग कुछ ही दिनों में लगभग गंजे हो गए।

32 वर्षीय प्रदीप कलस्कर के लिए यह किसी बुरे सपने से कम नहीं था। आईने के सामने कंघी करते समय उन्होंने देखा कि उनके बाल असामान्य रूप से झड़ रहे हैं। पहले उन्होंने इसे नजरअंदाज किया, लेकिन चार से पांच दिन में ही उनके सिर से लगभग सभी बाल गायब हो गए। यही हाल 8 साल की प्रियल का भी हुआ, जिसके माता-पिता अपनी बेटी की इस हालत से बुरी तरह डर गए।

मामला बढ़ा तो आईं जांच टीम, सरकारी गेहूं पर शक

घटना की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली से स्वास्थ्य विभाग और ICMR की टीमें जांच के लिए बुलढाणा पहुंचीं। वहीं, पद्मश्री डॉ. हिम्मतराव बावस्कर ने अपने स्तर पर इस रहस्यमयी बाल झड़ने की घटना की गहराई से जांच की।

उनकी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि सरकारी राशन की दुकानों से मिलने वाला गेहूं इस समस्या की जड़ हो सकता है। यह गेहूं संभवतः पंजाब या हरियाणा से आया था। हालांकि, बुलढाणा के कलेक्टर ने स्वीकार किया कि उन्हें यह नहीं पता कि यह गेहूं कहां से आया था।

रिसर्च से खुलासा – गेहूं में सेलेनियम की अत्यधिक मात्रा

डॉ. बावस्कर द्वारा प्रभावित इलाकों से लिए गए गेहूं के सैंपल एक निजी लैब में टेस्ट कराए गए। रिपोर्ट में पाया गया कि गेहूं में सेलेनियम की मात्रा 14.52 mg प्रति किलो थी, जबकि सामान्य मात्रा मात्र 1.9 mg होनी चाहिए। यानी यह मात्रा सामान्य से आठ गुना ज्यादा थी।

सेलेनियम की अत्यधिक मात्रा को ही बाल झड़ने की सबसे संभावित वजह माना गया। ICMR की रिपोर्ट में भी इस पर जोर दिया गया कि प्रभावित लोगों के शरीर में सेलेनियम का स्तर सामान्य से 3 से 31 गुना ज्यादा था।

ग्रामीणों ने सरकारी गेहूं खाना छोड़ा, राशन की दुकानें बंद

जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद गांववालों में डर और बढ़ गया। ज्यादातर लोगों ने सरकारी गेहूं खाना छोड़ दिया और अब वे खुद का अनाज खरीदकर खाने लगे हैं। राशन की दुकानें बंद पड़ी हैं। हालांकि, राहत की बात यह है कि यूनानी, होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक और एलोपैथिक इलाज के बाद प्रभावित लोगों के बाल दोबारा उगने लगे हैं।

सरकारी लापरवाही या प्राकृतिक आपदा?

यह घटना सरकार की अनदेखी और खाद्य सुरक्षा पर सवाल खड़े करती है। आखिर कैसे जहरीले स्तर तक सेलेनियम युक्त गेहूं गरीबों को बांट दिया गया? क्या सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच सकती है? अगर यह समस्या पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों में आम है, तो सरकार को इस पर पहले से निगरानी रखनी चाहिए थी।

कलेक्टर का यह कहना कि “हमें नहीं पता गेहूं कहां से आया” बेहद गैर-जिम्मेदाराना बयान लगता है। यह किसी एक गांव या जिले की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे देश में खाद्य सुरक्षा की गंभीर खामियों को उजागर करता है।

सबक और आगे की राह

यह घटना चेतावनी है कि हमारी खाद्य सुरक्षा व्यवस्था में गंभीर सुधार की जरूरत है। सरकार को खाद्य आपूर्ति की गुणवत्ता पर अधिक सतर्कता बरतनी होगी। समय आ गया है कि हम यह सुनिश्चित करें कि देश का हर नागरिक सुरक्षित और पोषक आहार प्राप्त करे, अन्यथा भविष्य में इससे भी भयावह घटनाएं देखने को मिल सकती हैं।