26 Mar. Mumbai: एंटीलिया केस में मनसुख हिरेन की हत्या की जांच अब ATS से NIA के पास चली गई है। इसके बाद NIA की टीम देर रात रेती बंदर की खाड़ी में उस जगह गई जहां से मनसुख का शव 5 मार्च को बरामद हुआ था। मनसुख की हत्या रात में हुई थी, इसलिए टीम सस्पेंड किए गए असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर (API) सचिन वझे को लेकर वहां रात में गई और पूरे सीन को रीक्रिएट किया।
ATS ने इस मामले में गिरफ्तार पूर्व कांस्टेबल विनायक शिंदे और सट्टेबाज नरेश गोरे को NIA को सौंपा है, जिसके बाद आज केंद्रीय जांच एजेंसी सचिन वझे और दोनों आरोपियों को आमने-सामने बैठकर पूछताछ कर सकती है। NIA के हाथ वह कार भी ले गई है, जिसमें मनसुख की हत्या हुई थी। कार से बरामद फॉरेंसिक सबूतों के मिलाने के लिए वझे का DNA टेस्ट कराया जाएगा। इसके लिए वझे का ब्लड सैंपल भी लिया गया है।
वझे दाऊद एंगल से जांच भटकाना चाहता था
NIA सूत्रों के मुताबिक, सचिन वझे एंटीलिया केस को अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के साथ जोड़कर जांच अधिकारियों को गुमराह करना चाहता था। उसने दुबई में रह रहे दाऊद इब्राहिम के गैंग से जुड़े एक बड़े व्यक्ति को फर्जी टेलीग्राम बनाकर धमकी भरा मैसेज भेजने के लिए कहा था। जिलेटिन से भरी स्कॉर्पियो मिलने के 12 दिन बाद तक इस केस की जांच वझे के हाथ में ही थी।
हालांकि, इस मामले में धमकी दिल्ली के तिहाड़ जेल से भेजी गई। इसके लिए जैश-ए-हिंद नाम का एक फर्जी टेलीग्राम अकाउंट बनाया गया। इसी की जांच के लिए मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने एक प्राइवेट साइबर फर्म की मदद ली थी, लेकिन इसको कहीं भी रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया। NIA अब इस बात की जांच कर रही है कि वह मैसेज इतना महत्वपूर्ण होने के बाद भी मुंबई पुलिस इसकी पड़ताल करने तिहाड़ जेल क्यों नहीं गई।
वझे ने अपने ऊपर लगे आरोपों को नकारा
NIA कोर्ट में जज पीपी सितरे के सामने वझे के वकील ने कहा, ‘वझे का मनसुख मर्डर केस से कोई लेना-देना नहीं है। उसे बलि का बकरा बनाया गया है।’ NIA के वकील एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कोर्ट से कहा कि अपराध में किसी पुलिसकर्मी के शामिल होने और वझे के घर से NIA को मिले 62 कारतूसों की जांच की जरूरत है। NIA कोर्ट ने आतंकवाद रोकथाम कानून UAPA की धारा 16 और 18 के आरोपी वझे को 3 अप्रैल तक के लिए NIA की हिरासत में भेज दिया है।’
दूसरी तरफ, NIA सूत्रों ने जानकारी दी की, मोबाइल टॉवर और IP इवेल्यूएशन के आधार पर पता चला है मनसुख की हत्या के समय वझे वारदात वाली जगह मौजूद था। बाद में उसने मुंबई पुलिस मुख्यालय स्थित अपने CIU ऑफिस में जाकर अपना मोबाइल फोन चार्जिंग पर लगा दिया, ताकि उसकी लोकेशन वहीं दिखाई दे। उसने बताया कि 4 मार्च को वह पूरे दिन कमिश्नर ऑफिस में था, जबकि 4 मार्च, दोपहर 12:48 मिनट पर उसकी मोबाइल लोकेशन चेंबूर की MMRDA कॉलोनी में थी।
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