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आज भी किसानों ने लंगर का ही खाना खाया

4 Jan. Vadodara: किसान कानूनों का विरोध कर रहे किसान आंदोलन का आज 40वां और महत्त्वपूर्ण दिन है। आज किसानों की सरकार के साथ 8वें दौर की बातचीत दोपहर 2 बजे विज्ञान भवन में होनी है। सरकार को उम्मीद है कि आज आंदोलन समाप्त हो सकता है। वहीं किसान संगठनों ने कहा है कि सरकार ने मांगें नहीं मानी तो प्रदर्शन और तेज किया जाएगा। किसान नेता मनजीत सिंह राय ने कहा कि बातचीत का नतीजा नहीं निकला तो 13 जनवरी को कृषि कानूनों की कॉपी जलाकर लोहड़ी मनाएंगे।

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत अपनी बात रखते हुए कहते हैं कि आंदोलन के दौरान अब तक 60 किसानों की जान चा चुकी। हर 16 घंटे में एक किसान मर रहा है। सरकार की जवाबदेही बनती है।

अब तक क्या रही अपडेट्स…

बेनतीजा रही किसान और सरकार की बैठक

MSP पर किसानों की गतिरोध जारी है। इस बैठक में भी किसान कानून वापसी को लेकर अड़े रहे। तो वहीं बैठक के लिए दूसरी तारिक जारी करदी गयी है। अब अगली बैठक 8 जनवरी को होगी। आज 8 वें दौर की बैठक थी जहाँ सरकार ने हल निकलने की कुछ उमीदें जताई थी और किसान द्वारा प्रदर्शन खत्म करने की बात भी कही थी। अब सबकी नज़र अगली बैठक पर है।

किसानों की मीटिंग के दौरान करीब 200 लोगों का खाना लंगर से विज्ञान भवन तक पहुंचाया गया था। पिछली बैठक में भी किसानों ने लंगर का खाना ही खाया था। उस दौरान केंद्रीय मंत्रियों ने भी किसानों के साथ ही लंच किया था।

न्यूज एजेंसी के सूत्रों के अनुसार, किसानों को समझाने के लिए सरकार कानूनों के हर क्लॉज पर चर्चा हो सकती है। मीटिंग में जाने से पहले कृषि मंत्री ने कहा कि आज पॉजिटिव सॉल्यूशन की उम्मीद है। वहीं किसान संगठनों ने कहा है सरकार ने मांगें नहीं मानी तो प्रदर्शन तेज किया जाएगा।

बैठक में आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के लिए 2 मिनट का मौन रखा गया।

ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हन्नान मोला ने कहा, ‘यह सरकार पर है कि वह किसानों की समस्याओं का हल निकालना चाहती है या फिर उनके खिलाफ साजिश कर उनके संघर्ष को कमजोर करना चाहती है। हमें उम्मीद है कि सरकार मानवीय सोच रखेगी।’

ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हन्नान मोला ने कहा कि, “यह सरकार पर है कि वह किसानों की समस्याओं का हल निकालना चाहती है या फिर उनके खिलाफ साजिश कर उनके संघर्ष को कमजोर करना चाहती है। हमें उम्मीद है कि सरकार मानवीय सोच रखेगी।”

किसान आंदोलन के समर्थन में पंजाब और हरियाणा में रिलायंस जियो के टावरों को गिराए जाने और ऑफिसों में पिछले दिनों काफी तोड़फोड़ होने के बाद कंपनी ने हाई कोर्ट में याचिका दर्ज की। कंपनी ने कहा कि सरकार को तुरंत दखल देकर गुंडागर्दी रोकनी चाहिए। ऐसे हिंसक कामों से हजारों कर्मचारियों की जिंदगी खतरे में पड़ गई है और कम्युनिकेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर को काफी नुकसान हुआ है। साथ ही कहा कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से हमारा कोई लेना-देना नहीं है।

किसान मजदूर संघर्ष समिति, पंजाब के जॉइंट सेक्रेटरी सुखविंदर सिंह ने कहा है कि कृषि कानूनों को वापस लेने और MSP की गारंटी की मांगें पूरी नहीं हुईं तो 6 जनवरी को भी ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे।

30 दिसंबर की मीटिंग में 2 मुद्दों पर सरकार और किसानों की सहमति बनी थी

1. पराली जलाने पर केस दर्ज नहीं होंगे। अभी 1.करोड़ रुपए जुर्माना और 5 साल की कैद का प्रोविजन है। सरकार इसे हटाने को राजी हुई।

2. बिजली अधिनियम में बदलाव नहीं: किसानों को आशंका है कि इस कानून से बिजली सब्सिडी बंद होगी। अब इस कानून का अमल नहीं होगा।

मांगे मानने के कारण किसानों की उम्मीद बढ़ी और रुख नरम हुआ

2 मुद्दों पर सहमति बनने के बाद किसानों के रुख नरम होता नज़र आया और उन्होंने 31 दिसंबर को होने वाली ट्रैक्टर रैली को टाल दिया। तो वहीं, आज इन 2 महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत होनी है।

1. किसान तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं।

2. किसानों का कहना है कि MSP पर अलग कानून बने, ताकि उन्हें सही दाम मिल सके।

हल निकलने की क्या उम्मीद है?

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, आज की बैठक में किसानों के २ और बड़े मुद्दों का हल भी निकल सकता है। सरकार समर्थन मूल्य यानी MSP और एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (APMC) के मुद्दों पर लिखित में भरोसा दे सकती है। इसके साथ ही ऐसी व्यवस्था भी की जा सकती है कि प्राइवेट कंपनियां मंडियों में MSP से कम भाव पर फसलों की खरीद नहीं कर पाएं।