अमेरिका में रह रहे भारतीय छात्र, जो कॉलेज के बाद अतिरिक्त आय के लिए पार्ट-टाइम काम करते थे, अब देश निकासी के डर से अपनी नौकरियां छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं।
अमेरिका में F-1 वीजा पर रहने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों को कैंपस में सप्ताह में 20 घंटे काम करने की अनुमति है। लेकिन कई छात्र अपने खर्चों को कवर करने के लिए कैंपस के बाहर, जैसे रेस्टोरेंट्स, गैस स्टेशनों या रिटेल स्टोर्स में बिना दस्तावेजों के काम करते रहे हैं।
हालांकि, हाल की इमीग्रेशन नीतियों में कड़ाई आने के संकेतों ने छात्रों को चिंतित कर दिया है। अब वे अपने भविष्य को खतरे में डालने के लिए तैयार नहीं हैं। इसी कारण से वे ऐसी नौकरियां छोड़ रहे हैं।
छात्रों ने कहा कि वे कुछ महीनों बाद परिस्थितियों का पुनर्मूल्यांकन करेंगे और फिर तय करेंगे कि काम फिर से शुरू करना है या नहीं। इस बीच, वे अपने खर्चों को कवर करने के लिए अपनी बचत या भारत में दोस्तों और परिवार से उधार लेने पर निर्भर कर रहे हैं।
यह अनिश्चितता छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल रही है, जिससे कई छात्र वित्तीय और भावनात्मक तनाव का सामना कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ छात्रों ने बताया कि ये पार्ट-टाइम नौकरियां अमेरिका में बने रहने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, खासकर जब उन्होंने कॉलेज में प्रवेश पाने के लिए बड़ी फीस चुकाई हो। लेकिन अब वे अपने भविष्य को जोखिम में नहीं डाल सकते।
इस स्थिति ने भारतीय छात्रों के लिए नई चुनौतियाँ उत्पन्न की हैं, जो उनके शैक्षणिक और करियर के लक्ष्यों पर गहरा असर डाल सकती हैं।
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