CATEGORIES

April 2025
M T W T F S S
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
282930  
Friday, April 18   10:49:19

ऑयल पेंटिंग के बादशाह भूपेन खख्खर

वडोदरा के प्रसिद्ध चित्रकार स्वर्गीय पद्म श्री भूपेन खख्खर की पेंटिंग करोड़ो में बिकी है। अपनी कला के कारण अनेकों अवॉर्ड्स से सम्मानित स्वर्गीय पद्म श्री भूपेन खख्खर की चांपानेर आधारित पेंटिंग मुंबई में आयोजित एक ओक्शन में 14 करोड़ 8 लाख में बिकी है।यह उनके न होने के बावजूद उनकी कला के कद्रदान ने इस पेंटिंग को खरीदकर उनको जीवंत रखा है। प्राप्त जानकारी अनुसार भूपेन खख्खर ने यह पेंटिंग वड़ोदरा के एक आर्किटेक्ट को उनके जन्मदिन पर भेंट के स्वरूप दिया था ।1996 से यह पेंटिंग उनके पास थी।

कैनवास पर ऑयल पेंटिंग में भूपेन खख्खर ने चंपानेर की ऐतिहासिक विरासत को उकेरा है, जब चांपानेर को वर्ल्ड हेरिटेज में स्थान मिला तब यह पेंटिंग उन्होंने बनाई थी।ऑक्शन हाउस ने इसकी बेस प्राइस 6 से 8 करोड़ रखी थी।यहां यह उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय ऑक्शन हाउस के एक ऑक्शन में बनियान ट्री नाम की उनकी पेंटिंग 18 करोड़ 81 लाख में बिकी थी।

भूपेन खख्खर का जन्म 10 मार्च 1934 को मुंबई में हुआ। उनके पिता इंजिनीयर थे। चार भाई बहनों में वह सबसे छोटे थे। पिता की शराब की लत के कारण महज़ 4 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने पिता को खो दिया। भारतीय समकालीन कला के दिग्गज कलाकार भूपेन खख्खर ने अपने कार्यकाल की शुरुआत एक चार्टर्ड अकाउंटेंट के रूप में की। 1958 में गुजरात के कवि और चित्रकार गुलाम मोहम्मद शेख से हुई ।उनकी मुलाकात ने उन्हें कला के प्रति प्रोत्साहित किया। वे स्वप्रशिक्षित कलाकार थे। उन्हें दृश्य कला का बहुत ही अच्छा ज्ञान था। गुलाम मोहम्मद शेख ने उन्हें वडोदरा की फाइन आर्ट्स फैकेल्टी से जुड़ने की सलाह दी।

गुलाम मोहम्मद शेख से हुई यह मुलाकात ने उनके लिए एक दिशा खोली ।वे ऑयल पेंटिंग्स में माहिर थे । उनके सभी चित्र विवरण से भरपूर है। सन 1965 में उन्होंने चित्रों की सोलो प्रदर्शनी की ,जिसकी विवेचकों और कलाकारों ने बहुत ही सराहना की ।उसके बाद एग्जीबिशन का दौर कभी नहीं थमा।उन्होंने 1980 में लंदन, बर्लिन, एम्स्टर्डम ,टोक्यो, जैसी जगहों पर अपनी स्वतंत्र चित्र प्रदर्शनियां की।

उन्हें अपनी कला के लिए अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। वर्ष 2002 में ध रॉयल पैलेस ऑफ एम्स्टर्डम में प्रिंस क्लॉस अवॉर्ड से नवाजा गया। 1986 में ध एशियन काउंसिल स्टार फाउन्डेशन ने उन्हें फेलोशिप दी।और वर्ष 1984 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। आज भी उनके चित्र न्यूयॉर्क, ब्रिटिश म्यूजियम, ध टेट गैलरी,ध म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट में प्रदर्शित है।उनकी अधिकतर पेंटिंग्स आम आदमी के जीवन को उजागर करती है।

वर्ष 2003 में 69 वर्ष की आयु में 8 अगस्त के रोज़ उन्होंने यह दुनिया छोड़ दी ।आज वे भले ही हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनकी कला के रूप में वे आज भी हम सब में जिंदा है।