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हिंडनबर्ग रिसर्च की आंधी से कैसे निकले, गौतम अडानी ने बताई एक-एक बात..

आज से ठीक एक साल पहले 25 जनवरी 2023 को नाश्ते के दौरान खबर आई कि न्यूयॉर्क के एक शॉर्ट-सेलर ने अडानी समूह के खिलाफ आरोपों का एक पुलिंदा ऑनलाइन जारी किया है। उसे ‘शोध रिपोर्ट’ का नाम दिया गया था, लेकिन इसमें वही पुराने आरोप थे जिन्हें मेरे विरोधी मीडिया में अपने सहयोगियों के माध्यम से फैलाने की कोशिश कर रहे थे। यह सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी के आधार पर धूर्तता से तैयार किया गया आधा-सच था। हमारे खिलाफ झूठ और निराधार आरोप कोई नई बात नहीं थी। इसलिए एक विस्तृत जवाब जारी करने के बाद मैंने इसके बारे में और नहीं सोचा। लेकिन जैसा कि वे कहते हैं, सच जब जूते पहन रहा होता है, झूठ पूरी दुनिया घूम लेता है। सच्चाई की शक्ति पर पले-बढ़े मेरे लिए यह हमला झूठ की शक्ति पर एक सबक था।

शॉर्ट-सेलिंग हमलों का प्रभाव आम तौर पर वित्तीय बाजारों तक सीमित होता है। हालांकि, यह एक असाधारण द्विपक्षीय हमला था। एक वित्तीय और दूसरा राजनीतिक। दोनों एक दूसरे को फीड कर रहे थे। मीडिया में कुछ लोगों की मदद से हमारे खिलाफ ये झूठ इतने तीखे थे कि हमारे पोर्टफोलियो के मार्केट कैप में काफी कमी आई। आम तौर पर, पूंजी बाजार तर्कसंगत से अधिक भावुक होते हैं। मुझे इस बात की ज्यादा पीड़ा थी कि हजारों छोटे निवेशकों ने अपनी बचत खो दी। हमारे विरोधियों की योजना अगर पूरी तरह से सफल हो जाती, तो यह देश के लिए विनाशकारी होता। कई जरूरी बुनियादी ढांचे, बंदरगाह, हवाई अड्डे और बिजली सप्लाई चेन पंगु हो सकते थे। लेकिन, हमारे मजबूत एसेट्स, मजबूत कामकाज और हाई क्वालिटी डिस्क्लोजर के कारण बैंकों और रेटिंग एजेंसियों ने हमारा साथ नहीं छोड़ा।

इस संकट के लिए कोई रोडमैप नहीं था। अपने कारोबार पर विश्वास ने हमें अलग राह अपनाने की हिम्मत दी। सबसे पहले तो, हमने निवेशकों की रक्षा का फैसला किया। 20,000 करोड़ रुपये का FPO लाने के बाद, हमने उस रकम को वापस लौटाने का फैसला लिया। यह कॉर्पोरेट इतिहास में नया कदम था, जो दिखाता है कि हम निवेशकों के हित और नैतिक कारोबार में कितने गंभीर हैं। इस लड़ाई में हमारा सबसे बड़ा हथियार पर्याप्त नकदी था। पहले से मौजूद 30,000 करोड़ रुपये के अलावा 40,000 करोड़ रुपये और जुटाए जो अगले दो साल के कर्ज के भुगतान के बराबर थे। ये पैसे हमने ग्रुप कंपनियों में हिस्सा बेचकर जुटाए। यह हिस्सेदारी जीक्यूजी पार्टनर्स और क्यूआईए जैसे कई नामी गिरामी निवेशकों को बेची गई। इससे हमारे पास नकदी का भरपूर जखीरा हो गया। बाजार में फिर से भरोसा जागा और भारत के लिए विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा बनाने के हमारे लक्ष्य को बल मिला।

17,500 करोड़ रुपये के लोन का समय से पहले भुगतान कर हमने अपने पोर्टफोलियो को बाजार के उतार-चढ़ाव से अलग कर लिया। मैंने लीडरशिप टीम से सिर्फ काम पर ध्यान देने को कहा। इससे FY24 की पहली छमाही में EBITDA रेकॉर्ड 47% बढ़ गया। FY24 की तीसरी तिमाही में हमें अब तक का सबसे ज्यादा तिमाही मुनाफा हुआ। अब तो आंकड़े ही बोल रहे थे। हमने अपने वित्तीय और गैर-वित्तीय हितधारकों के साथ व्यापक जुड़ाव का कार्यक्रम चलाया। सिर्फ वित्त विभाग ने ही शुरुआती 150 दिनों में दुनिया भर में लगभग 300 बैठकें आयोजित कीं। इससे नौ रेटिंग एजेंसियों ने हमारी 104 कंपनियों की रेटिंग की पुष्टि की है। बैंक, फिक्स्ड इनकम निवेशक, सॉवरेन वेल्थ फंड, इक्विटी निवेशक, जेवी पार्टनर और रेटिंग एजेंसियां हमेशा हमारे प्रमुख हितधारक रहे हैं। उनका ड्यू डिलिजेंस, जांच और समीक्षा हमारी व्यापक और पारदर्शी डिस्क्लोजर रिजीम का आधार हैं।