05-04-2023, Wednesday
जेलों में सिर्फ 22% ही सजायाफ्ता,77% अंडरट्रायल कैदी
भारत की जेलों में सिर्फ 22% कैदी ही ऐसे हैं जिन्हें किसी अपराध में दोषी करार दिया गया है। इसके अलावा 77% कैदी ऐसे हैं, जिनके केस अलग-अलग अदालतों में चल रहे हैं और इन पर फैसला नहीं आया है। यानी ये विचाराधीन कैदी हैं।
यह आंकड़ा हाल ही में प्रकाशित 2022 की इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में सामने आया है। रिपोर्ट में कहा गया है- विचाराधीन कैदियों को लंबे समय तक हिरासत में रखना इस बात का संकेत है कि केस खत्म होने में काफी वक्त लग रहा है। इससे न सिर्फ एडमिनिस्ट्रेटिव वर्कलोड बढ़ता है, बल्कि हर कैदी पर खर्च होने वाला बजट भी इसी वजह से बढ़ता है। इसका असर सरकारी खजाने पर पड़ता है।
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