आज के दौर में मोबाइल फोन हर उम्र के व्यक्ति के लिए इतना जरूरी हो गया है कि यह कई बार यह परिवार और दोस्तों से भी अधिक अहमियत पा जाता है। लेकिन, बच्चों में मोबाइल फोन की बढ़ती लत चिंता का विषय बन गई है। मोबाइल फोन के कारण बच्चे अकेले होते जा रहे हैं, और कुछ मामलों में यह स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि बच्चे आत्महत्या जैसे खतरनाक कदम तक उठाने पर मजबूर हो जाते हैं। पिछले एक साल में गुजरात में 12 से 17 साल के बच्चों द्वारा मोबाइल फोन न मिलने या इसके अत्यधिक उपयोग के चलते आत्महत्या के चार मामले सामने आए हैं।
मोबाइल फोन का बढ़ता उपयोग और बच्चे पर असर
हालिया क्रिमिनोलॉजी और साइकोलॉजी की रिसर्च बताती है कि मोबाइल फोन की लत ड्रग्स की लत से भी ज्यादा खतरनाक हो सकती है। 2024 में किए गए एक सर्वे के अनुसार, माता-पिता द्वारा बच्चों को व्यस्त रखने के लिए मोबाइल फोन दे देना एक आम प्रवृत्ति बन गई है। इसका असर यह हो रहा है कि बच्चे सामाजिक और मानसिक रूप से कमजोर हो रहे हैं।
मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग से बच्चे अकेले हो रहे हैं। स्क्रीन के सामने बिताए समय के दौरान वे जो देखते हैं, उसे वास्तविक मानने लगते हैं। सोशल मीडिया और गेम्स में दूसरों की सफलता देखकर बच्चे खुद को नाकाम महसूस करने लगते हैं, जिससे उनके मासूम मन पर गहरा असर पड़ता है।
बच्चों में मोबाइल की लत के आंकड़े
ताजा सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य के 64% बच्चों को किसी न किसी रूप में मोबाइल की लत है:
76% ग्रामीण बच्चे मोबाइल पर गेम खेलते हैं।
63% बच्चे किसी भी हालत में मोबाइल फोन चाहते हैं।
81% बच्चे खाना खाते समय मोबाइल फोन देखते रहते हैं।
85% बच्चे शारीरिक खेलों की तुलना में मोबाइल गेम को प्राथमिकता देते हैं।
66% माता-पिता खुद को समय देने के लिए बच्चों को मोबाइल थमा देते हैं।
मोबाइल फोन से जुड़े आत्महत्या के मामले
मोबाइल फोन की लत और इससे जुड़ी समस्याओं ने कई बच्चों को आत्मघाती कदम उठाने पर मजबूर किया है:
भुज: 17 वर्षीय किशोर ने मोबाइल गेम में हारने के बाद जहर पीकर आत्महत्या कर ली।
बगसरा: 15 वर्षीय किशोर ने वीडियो बनाने के चक्कर में जहर पी लिया, जिससे उसकी हालत गंभीर हो गई।
सूरत: कक्षा 9 के एक छात्र ने माता-पिता द्वारा मोबाइल न खरीदने पर आत्महत्या कर ली।
राजकोट: 12वीं के छात्र ने परीक्षा की तैयारी के लिए पिता द्वारा मोबाइल छीनने के बाद आत्महत्या कर ली।
सूरत: कक्षा 8 की छात्रा ने परिवार के साथ मोबाइल को लेकर हुए विवाद के बाद फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
सरकार का कदम: स्कूलों के लिए एडवाइजरी
बच्चों में बढ़ती मोबाइल लत को रोकने के लिए राज्य सरकार ने स्कूलों के लिए एक एडवाइजरी तैयार करने का फैसला किया है। कक्षा 1 से 12 तक के बच्चों को स्कूल में मोबाइल लाने पर प्रतिबंध है। कॉलेजों में छात्र मोबाइल ला सकते हैं, लेकिन कक्षा में उपयोग की अनुमति नहीं है।कोरोना महामारी के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई ने बच्चों में मोबाइल की लत को और बढ़ा दिया है।
मोबाइल फोन बच्चों की जरूरत बन गया है, लेकिन इसका असमय और अत्यधिक उपयोग बच्चों के मानसिक और सामाजिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। राज्य सरकार और समाज को मिलकर इस समस्या का समाधान ढूंढना होगा ताकि बच्चों को मोबाइल की लत और इससे जुड़े खतरों से बचाया जा सके।
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