कश्मीर की वादियों में लहू का सन्नाटा
जब सैलानी बैसरन घाटी की खूबसूरती निहार रहे थे, तभी अचानक गोलियों की आवाज़ों ने वादी की शांति को खून से रंग दिया। 23 अप्रैल 2025 को दोपहर के समय हुए इस भयावह आतंकी हमले में 27 निर्दोष लोगों की मौत हो गई, जबकि 20 से अधिक लोग घायल हैं।
यह हमला 2019 के पुलवामा फिदायीन हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है।
कौन थे हमलावर? – लश्कर की साजिश, TRF का मोहरा
इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी ग्रुप The Resistance Front (TRF) ने ली है। इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक, हमले में 5 आतंकी शामिल थे, जिनमें 2 स्थानीय और 3 पाकिस्तानी आतंकवादी थे।
सैफुल्लाह खालिद, लश्कर का डिप्टी चीफ और इस पूरे हमले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है, जो इस समय पाकिस्तान के रावलकोट में मौजूद है।
जारी किए गए स्केच में तीन प्रमुख नाम सामने आए हैं:
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आसिफ फौजी
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सुलेमान शाह
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अबु तल्हा
सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरें – अफवाह या संकेत?
सोशल मीडिया पर हमलावरों की एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें चार युवकों को हथियारों के साथ देखा गया। हालांकि, अभी तक सुरक्षा एजेंसियों ने इस फोटो की पुष्टि नहीं की है। लेकिन माना जा रहा है कि इनमें से एक आतंकी FT मूसा कैडर से जुड़ा है, जो पाकिस्तान से ऑपरेट करता है।
मौत के साये में टूरिज्म – “नाम पूछकर मारी गई गोली”
घटनास्थल से जो विवरण सामने आए हैं, वो रूह कंपा देने वाले हैं। बताया जा रहा है कि आतंकियों ने पहचान पत्र देखकर लोगों को निशाना बनाया और कलमा पढ़वाकर उन्हें गोली मार दी।
इस घटना में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा, गुजरात, मध्यप्रदेश और नेपाल तथा UAE के सैलानी मारे गए हैं।
जवानों को भी समझा गया आतंकी
जब सेना के जवान घाटी में राहत बचाव कार्य के लिए पहुंचे, तो वर्दी में होने की वजह से पर्यटकों ने उन्हें भी आतंकी समझ लिया और बच्चे व महिलाएं रोने लगे। वीडियो में दिखा कि जवानों को हाथ जोड़कर अपनी पहचान बतानी पड़ी – “हम इंडियन आर्मी हैं।”
हाई लेवल एक्शन मोड में सरकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब दौरा छोड़ कर भारत लौट आए हैं। दिल्ली में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक चल रही है, जिसमें गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और NSA अजित डोभाल शामिल हैं।
श्रीनगर में अमित शाह ने मृतकों को श्रद्धांजलि दी और घायल सैलानियों से भी मुलाकात की।
राजनेता और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
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कपिल सिब्बल ने पाकिस्तान को आतंकी राष्ट्र घोषित करने की मांग की।
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रॉबर्ट वाड्रा ने सांप्रदायिक खाई को इस घटना का कारण बताया।
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मालदीव और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने इस हमले की कड़ी निंदा की है।
कश्मीर सिर्फ एक भौगोलिक विवाद नहीं, बल्कि आतंक की रणनीति का मैदान बन चुका है। सैलानियों पर हमला करना न सिर्फ अमानवीय है, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक आत्मा पर सीधा प्रहार है।
TRF और लश्कर जैसे संगठन अब स्थानीयता की आड़ लेकर आतंकी हमलों को ‘घरेलू घटना’ की शक्ल देना चाहते हैं, जिससे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत को जवाबदेह ठहराया जा सके।
समाधान?
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इंटेलिजेंस को लोकल नेटवर्क से और मजबूत करना होगा।
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घाटी में सेक्युलर और मानवीय संवाद को बढ़ावा देना होगा।
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पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक और आर्थिक प्रतिबंधों को और सख्त करना होगा।
श्रद्धांजलि और संकल्प
इस हमले ने हर भारतीय को झकझोर कर रख दिया है। देश शोक में डूबा है, लेकिन साथ ही संकल्प भी मजबूत हुआ है – हम डरेंगे नहीं, झुकेंगे नहीं।
पहलगाम की घाटी फिर से मुस्कराएगी, लेकिन इस बार उसकी मुस्कान में संकल्प की चमक होगी।

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