22-07-22
यूक्रेन रशिया युद्ध और पर्यावरण के प्रति असावधानी ने धरती के तापमान का रूप बदल कर रख दिया है।समग्र यूरोप जैसे अगनभठ्ठी बन गया है,और ब्रिटन में गर्मी ने कहर ढाया है।
एशिया और भारतीय उपखंड के लोग भारत के 42 से 47 डिग्री तापमान से बचने गर्मियों में यूरोप अमेरिका की सैर को निकल जाया करते है, क्योंकि यहां जून से सितंबर तक खुशनुमा मौसम रहता है।यूरोप के देश धरती का स्वर्ग कहे जाते है।इन देशों में रहने का लोग सपना देखते है।रहना न मिले तो न सही पर एक बार इन देशों की सैर करने का ख्वाब तो जरूर होता ही है।लेकिन यूक्रेन रशिया युद्ध,और पर्यावरण के प्रति असावधानी ने प्रकृति चक्र को ही तोड़ दिया है।दूषित पानी,प्रदूषित वातावरण के चलते इन दिनों खुशनुमा मौसम के लिए प्रसिद्ध यूरोप अगनभठ्ठी बनता जा रहा है।
यूरोप में सबसे अधिक बुरी स्थिति यूनाइटेड किंग्डम की है।ब्रिटन इतिहास में पहली बार तापमान का पारा 42 डिग्री के पार गया है। जिस प्रकार तापमान का पारा यहां बढ़ रहा है, स्थिति काफी चिंताजनक है ।ब्रिटेन में गर्मी का कहर इस तरह बरपा है, कि रोड का चारकोल पिघलने लगा है। यहां तक कि एयरपोर्ट के रनवे भी पिघल रहे हैं ,वही रेलवे ट्रेक भी बुरी तरह प्रभावित हुए है।सामान्यतया जुलाई में यहां का तापमान दिन में 21 और रात में 12 डिग्री तक रहता है ।इसके बदले तापमान की इस भयावह स्थिति में जीना यहां के लोगों के लिए दूभर हो गया है।
भीषण गर्मी के कारण यूरोप के कई देशों में आग की घटनाएं भी घटी है ।स्पेन,और पुर्तगाल में गर्मी के कारण लगी आग में हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है ।स्पेन में पिछले 10 दिनों से हिटवेव चल रही है। इस हीटवेव में 510 लोगो की मौतें हो चुकी हैं ।पुर्तगाल में तो बहुत ही खराब हालत है। वहां पर 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। पुर्तगाल का 12000 एक्टर का जंगल खाक हो गया है ।सड़कों पर सन्नाटा बना हुआ है। फ्रांस में महत्तम तापमान 45 डिग्री दर्ज हुआ है। मौसम विभाग के अनुसार फ्रांस में और भी हालात खराब होने की संभावना है ।जुलाई के बाद ही भीषण गर्मी से राहत मिल पाएगी।
ब्रिटेन समेत समग्र यूरोप में चल रही थी इस हीटवेव का कारण ग्लोबल वार्मिंग बताया जा रहा है ।यूरोप के महासागरों में बने हाई प्रेशर में उत्तर अफ्रीका की गर्म हवा मिलने से परिस्थिति खराब हुई है। गर्म हवा की चपेट में पुर्तगाल, स्पेन ,फ्रांस, और यूके आ गए हैं ।बेनेलुक्स से जाने जाते बेल्जियम ,नीदरलैंड, लक्जमबर्ग तीन देश है। वहीं पश्चिम जर्मनी, स्विट्जरलैंड ,और इटली भी इसमें शामिल है।इन देशों के हालात भी खराब है। पश्चिम और मध्य यूरोप के अधिकतर देश इस अगनज्वाला की चपेट में आए हुए हैं ।यूरोप के वातावरण में इतना कार्बन डाइऑक्साइड है कि हवाओं की गति प्रभावित हुई है ।हवा की गति बहुत ही कम हो गई है ।गर्म हवा के साथ कार्बन डाइऑक्साइड मिल जाने के कारण यूरोप अगन भट्ठी बन गया है।
मौसम विभाग के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस हीटवेव के बाद यदि धनिक देशों ने पर्यावरण को लेकर सही कदम नहीं उठाए और नहीं सुधरे तो हालात और भी खराब होंगे ।2019 में भी यूरोप में इसी तरह की हीटवेव का दौर चला था। उस वक्त भी मौसम विभाग के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी ,लेकिन तथाकथित धनिक देशों ने इसके बारे में निरंतर लापरवाही दिखाई ।यूरोप की हीटवेव भारत समेत सभी देशों के लिए चेतावनी के समान है। भारत में भी कार्बन डाइऑक्साइड का उत्पादन बेहिसाब हो रहा है ,इसे देखकर लगता है कि भारत जैसे गर्म देश की स्थिति यूरोप से भी बदतर हो सकती है। इसीलिए जरूरी है कि संभाल जाए और प्रकृति के साथ मिलकर ही काम किया जाए और प्रकृति को सहेजा जाए।
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