तिलक विधि और धार्मिक आयोजन की शुरुआत
आज सुबह से ही वड़ोदरा के नरसिंहजी मंदिर में धार्मिक आयोजन जारी हैं। भगवान नरसिंहजी के लिए तिलक विधि में हजारों भक्तों ने भाग लिया, और मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी है। इस मौके पर भगवान नरसिंहजी के पालकी को बेहद खूबसूरत तरीके से सजाया गया है, जो भक्तों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
वड़ोदरा में देव दिवाली के दौरान हर साल भगवान नरसिंहजी की शादी तुलसी माता से रचाई जाती है। यह परंपरा शहर के धार्मिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। इस दौरान मंदिर में विशेष धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-पाठ किए जाते हैं।
भगवान नरसिंहजी की शोभायात्रा का भव्य आयोजन
शाम 5:00 बजे भगवान की शोभायात्रा का भव्य आयोजन किया गया है,जो वड़ोदरा के प्रमुख मार्गों से होकर गुज़रेगी | इस भव्य शोभायात्रा में हजारों श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। शोभायात्रा का रूट इस प्रकार है: एमजी रोड, मांडवी, चांपानेर दरवाजा, अडानिया पुल, चार रास्ता फतेहपुरा, कुम्भारवाडा नाका, मंगलेश्वर झांपा, और तुलसीवाड़ी तक।
तुलसी माता के साथ भगवान नरसिंहजी की शादी
शोभायात्रा के अंत में, रात 11:00 बजे भगवान नरसिंहजी और तुलसी माता के बीच विवाह का पवित्र संस्कार होगा। यह शादी एक खास धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन है, जिसे वड़ोदरा में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन की विशेषता यह है कि यह धार्मिक आयोजन न केवल शहरवासियों के लिए, बल्कि दूर-दूर से आए भक्तों के लिए भी एक अहम दिन होता है।
यह आयोजन वड़ोदरा की धार्मिक संस्कृति का प्रतीक है और शहर के लोग इस दिन को धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाते हैं। हर साल, इस आयोजन का हिस्सा बनने के लिए श्रद्धालु वड़ोदरा के विभिन्न हिस्सों से इकट्ठा होते हैं।
वड़ोदरा की संस्कृति में एक अनोखा आयोजन
वड़ोदरा में भगवान नरसिंहजी की शोभायात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव है। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि शहर के सांस्कृतिक जीवन को भी प्रतिबिंबित करता है। भगवान नरसिंहजी के विवाह का यह पर्व वड़ोदरा की एकता और सामूहिक आस्था को भी प्रदर्शित करता है।
भगवान नरसिंहजी की शोभायात्रा और शादी के आयोजन के दौरान पूरे शहर में एक अद्भुत माहौल होता है। हर गली-गली में उत्सव का रंग देखा जा सकता है, और श्रद्धालु अपने श्रद्धा भाव के साथ इस कार्यक्रम का हिस्सा बनते हैं।
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