अमेरिका से आई है ‘इंसाफ की फ्लाइट’
2008 के मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा को आखिरकार भारत लाया जा रहा है। बुधवार रात अमेरिकी धरती से उड़ान भरने वाली स्पेशल फ्लाइट गुरुवार दोपहर दिल्ली एयरपोर्ट पर लैंड करेगी। भारत की NIA और RAW की संयुक्त टीम राणा को लेकर दिल्ली पहुंच रही है।
एयरपोर्ट से सीधे उसे बुलेटप्रूफ गाड़ी में बैठाकर NIA हेडक्वार्टर ले जाया जाएगा और बाद में उसे पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया जाएगा। मेडिकल जांच के बाद तहव्वुर राणा को तिहाड़ जेल के हाई-सिक्योरिटी वॉर्ड में रखा जाएगा – उस देश में, जिसकी रगों में अब भी 26/11 की आग दौड़ती है।
मास्टरमाइंड नहीं, ‘शैतान का साथी’
तहव्वुर राणा सिर्फ हेडली का दोस्त नहीं था, वो उसकी योजना का अहम हिस्सा था। उसने हेडली को भारत में इमिग्रेशन कंसल्टेंसी की आड़ में ऑफिस खोलने में मदद की, ताकि रेकी की जा सके। ताज होटल, CST स्टेशन, लियोपोल्ड कैफे – हर लोकेशन राणा की जानकारी में थी।
अमेरिका में हुए मुकदमों और सबूतों से ये साफ हुआ कि राणा ने न केवल फर्जी दस्तावेज बनवाए बल्कि भारत में घुसपैठ के लिए मार्गदर्शन भी किया।
कानून की लंबी लड़ाई, पर हार अंत में उन्हीं की हुई
राणा ने खुद को पार्किंसन से पीड़ित बताकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली कि भारत भेजा गया तो उत्पीड़न होगा। लेकिन अमेरिका की न्याय व्यवस्था ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाया। नवंबर 2024 से जनवरी 2025 तक चली कानूनी लड़ाई में हर अपील खारिज हुई।
भारत ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी:
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2011 में चार्जशीट दाखिल
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2019 में डिप्लोमैटिक अनुरोध
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2020 में अस्थायी गिरफ्तारी की मांग
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2021 में प्रत्यर्पण की औपचारिक प्रक्रिया
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2024 में सुप्रीम कोर्ट से अंतिम स्वीकृति
अब ये सिर्फ गिरफ्तारी नहीं, एक राष्ट्र की गरिमा का पल है
इस गिरफ्तारी का महत्व सिर्फ एक आतंकी को पकड़ना नहीं है – ये उस गुस्से, दर्द और आंसुओं की आवाज़ है जो 26/11 से दबे थे। ये उन परिवारों की पुकार है जो अब भी रातों को सोते वक्त ताज होटल की आग और गोलियों की आवाज़ें सुनते हैं।
16 साल बाद भारत को जो मिला है, वो एक प्रतीक है – कि चाहे जितना वक्त लगे, हम इंसाफ की जंग में पीछे नहीं हटेंगे।
अब अगला सवाल – क्या ये गिरफ्तारी उन सभी पर भी शिकंजा कसेगी जो पर्दे के पीछे थे?
तहव्वुर राणा को पकड़ना एक बड़ी जीत है, लेकिन इस कहानी के कई चेहरे अब भी खुलेआम घूम रहे हैं – ISI, लश्कर-ए-तैयबा, और वो पाकिस्तानी व्यवस्था जो आज भी इन हमलों को ‘गुलाब’ कहती है।
भारत को अब इस लहर को एक तूफान में बदलना होगा। तहव्वुर की गिरफ्तारी अंत नहीं – एक नई शुरुआत है।
“इंसाफ देर से मिले, लेकिन जब उसका चेहरा सामने होता है – तो हर घाव थोड़ा कम जलता है। तहव्वुर राणा की गिरफ्तारी में न सिर्फ भारत की कूटनीतिक सफलता झलकती है, बल्कि यह सबूत है कि सच्चाई को दबाया नहीं जा सकता, सिर्फ टाला जा सकता है।”

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