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डॉक्टर हड़ताल में 23 मौतें, सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल का बड़ा खुलासा

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक चौंकाने वाला बयान दिया कि पश्चिम बंगाल के एक अस्पताल में डॉक्टरों की हड़ताल के कारण 23 लोगों की मौत हो चुकी है। यह हड़ताल 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के विरोध में में किया गया था |

सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने राज्य की ओर से पेश होते हुए बताया कि डॉक्टरों की हड़ताल के चलते 23 लोगों की जान चली गई है। यह हड़ताल उस दर्दनाक घटना के बाद हुई, जिसमें 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर का दुष्कर्म कर हत्या कर दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से स्थिति रिपोर्ट मांगी थी। सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि जांच की स्थिति रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है। हालांकि, सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि उन्हें यह रिपोर्ट नहीं मिली है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में समीक्षा की।

यह मामला कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज का है, जहां यह दुष्कर्म और हत्या की घटना घटी। इस संवेदनशील मामले को कलकत्ता हाई कोर्ट ने सीबीआई को सौंप दिया, लेकिन एक महीने बाद भी जांच में केवल एक गिरफ्तारी हुई है।

डॉक्टरों की हड़ताल का मुख्य कारण अस्पताल में डॉक्टर की सुरक्षा का अभाव और राज्य सरकार की असफलता है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि पश्चिम बंगाल सरकार को CISF को पूरी सुरक्षा सहयोग देने के लिए निर्देशित किया जाए, क्योंकि CISF को आरजी कर मेडिकल कॉलेज में सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई है।

CBI ने अपनी जांच में खुलासा किया कि 10 अगस्त को, घटना के अगले दिन, आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. संदीप घोष ने सेमिनार रूम के पास के एक शौचालय और रेस्ट रूम को तोड़ने का आदेश दिया था। इस सबूत के गायब होने से जांच में कठिनाई हो रही है, जिससे मामले की प्रगति धीमी हो गई है।

यह मामला केवल एक दुखद घटना नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य और सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। डॉक्टरों की हड़ताल से जहां 23 जानें चली गईं, वहीं राज्य सरकार और केंद्र के बीच सामंजस्य की कमी भी चिंता का विषय है। डॉक्टरों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, ताकि वे बिना किसी डर के अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें। साथ ही, जांच में तेजी और पारदर्शिता की सख्त जरूरत है, ताकि दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिल सके।