पूरा देश आज संसद में हुए हमले की 22वीं बरसी मना रहा है। ऐसे में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के अन्य नेता और मंत्रियों ने भी संसद भवन पहुंचकर आतंकी हमले में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी।
आज 13 दिसंबर 2023 है जब एक बार फिर वो आतंकी हमला छोटे रूप में संसद में दोहराया गया। जब एक शख्स संसद की कार्यवाही के बीच दीर्घा से कूंदकर संसद में हंगामा मचाने लगा। आज से ठीक 22 साल पहले की बात है। उस वक्त भी संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था। उस वक्त लोकसभा और राज्यसभा स्थगित थी, लेकिन 100 से ज्यादा वीआईपी संसद भवन में मौजूद थे। होम मिनिस्ट्री का फर्जी स्टीकर लगाए एक सफेद एम्बेसडर कार संसद भवन के अंदर प्रवेश होती है। जिसके भीतर जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के पांच आतंकवादी बैठे थे।
ये गेट पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों को चकमा देने में भी कामयाब हो जाते हैं। अंदर के रास्ते पर इनकी गाड़ी गलती से उपराष्ट्रपति कृष्णकांत की खड़ी कार से टकरा जाती है। वहीं वो पल था जब सबको अहसास हुआ कि भारतीय लोकतंत्र के मंदिर में कुछ अनहोनी हो गई है।
वो सफेद एम्बेसडर कार AK-47 राइफलें, ग्रेनेड लॉन्चर्स, पिस्टल और हैंडगंस के जखीरे से भरी हुई थी। पांचों ने बाहर निकलते ही गोलियों की ताबड़ तोड़ बारिश शुरू कर दी। इन आतंकियों की गोली का CPRF कांस्टेबल कमलेश कुमारी पहला शिकार बने थे।
देखते ही देखते लगभग 45 मिनटों में संसद परिसर जंग का मैदान बन गया। उस हमले में सुरक्षाकर्मियों सहित नौ लोगों की हत्या कर दी गई थी। वहीं 18 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। गनीमत रहीं कि कोई सांसद इन आतंकियों का निशाना नहीं बना।
सुरक्षा बल पांचों आतंकियों को मारने में सफल रहे। एक आतंकी ने आत्मघाती वेस्ट पहन रखी थी। जब उसे गोली लगी तो स्यूसाइड वेस्ट में ब्लास्ट हो गया। पांचों आतंकियों की पहचान- हमजा, हैदर उर्फ तुफैल, राणा, रणविजय और मोहम्मद के तौर पर की गई।
संसद पर आतंकी हमले की जांच का जिम्मा दिल्ली पुलिस ने लिया था। जिसमें बताया गया कि आतंकियों को पाकिस्तान से गाइडेंस मिल रहा था। भारत सरकार ने शुरू में लश्कर-ए-तैयबा औऱ जैश-ए-मोहम्मद पर आरोप लगाए। हालांकि लश्कर ने किसी प्रकार की भूमिका से इनकार कर दिया था।
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