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Tuesday, January 21   10:58:12

छत्तीसगढ़-ओडिशा बॉर्डर पर मुठभेड़ में 15 नक्सली ढेर, 1 करोड़ के इनामी भी शामिल

छत्तीसगढ़-ओडिशा बॉर्डर पर सुरक्षा बलों ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए 15 नक्सलियों को मार गिराया है, जिनमें एक करोड़ रुपये का इनाम घोषित नक्सली नेता जय राम उर्फ चलपति भी शामिल है। यह मुठभेड़ रविवार रात से मंगलवार तक लगातार रुक-रुक कर चलती रही और यह घटना गरियाबंद जिले के कुल्हाड़ी घाट स्थित भालू डिग्गी जंगल में हुई। इस ऑपरेशन में करीब 1000 जवानों ने मिलकर लगभग 60 नक्सलियों को घेर लिया था, जिसके परिणामस्वरूप यह मुठभेड़ हुई।

पुलिस के अनुसार, इस मुठभेड़ में सेंट्रल कमेटी (CCM) और स्पेशल जोनल कमेटी (SZCM) के प्रमुख नक्सलियों की मौत हुई है, जो क्षेत्र में नक्सल गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे थे। एक महिला नक्सली भी इस मुठभेड़ में मारी गई है, और एक कोबरा बटालियन का जवान घायल हो गया है, जिसे रायपुर एयरलिफ्ट कर लाया गया।

यह ऑपरेशन छत्तीसगढ़ और ओडिशा की पुलिस बलों की संयुक्त कार्रवाई थी, जिसमें 10 टीमों ने हिस्सा लिया। 3 टीम ओडिशा पुलिस की, 2 टीम छत्तीसगढ़ पुलिस की और 5 सीआरपीएफ की थीं। सुरक्षा बल जब क्षेत्र में तलाशी अभियान पर निकले, तो नक्सलियों ने उन पर हमला किया, जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हो गई। घटनास्थल से कई हथियार और तीन IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेस) भी बरामद किए गए।

इस ऑपरेशन की निगरानी गरियाबंद एसपी निखिल राखेचा, ओडिशा के नुआपाड़ा एसपी राघवेंद्र गूंडाला, ओडिशा डीआईजी नक्सल ऑपरेशन अखिलेश्वर सिंह और कोबरा कमांडेंट डीएस कथैत द्वारा की जा रही है। इस सफल ऑपरेशन से यह स्पष्ट होता है कि सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ अपना अभियान तेज कर दिया है, और यह एक महत्वपूर्ण रणनीतिक जीत है।

यह मुठभेड़ नक्सलवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकती है, क्योंकि इसी तरह की हालिया सफलताओं से यह संकेत मिलता है कि नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों का दबाव बढ़ रहा है। पिछले कुछ समय में 16 जनवरी को छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर पर भी मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 18 नक्सली मारे गए थे, और इसमें 50 लाख का इनामी नक्सली दामोदर भी ढेर हुआ था।

इन ऑपरेशनों की सफलता से यह साबित होता है कि सुरक्षा बलों की रणनीति अब और अधिक प्रभावी हो रही है। नक्सलवाद जैसी गंभीर समस्या को समाप्त करने के लिए इस तरह के अभियान बेहद जरूरी हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करना कि इनका प्रभाव दीर्घकालिक हो, सुरक्षा बलों और स्थानीय प्रशासन के बीच निरंतर सहयोग और सामूहिक प्रयासों पर निर्भर करेगा।