कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पार्टी की संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को जल्द से जल्द जनगणना कराने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि इससे सभी पात्र व्यक्तियों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गारंटीकृत लाभ मिल सकेंगे। राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा कोई विशेषाधिकार नहीं, बल्कि नागरिकों का मूल अधिकार है। इस दौरान उन्होंने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जनगणना में देरी के कारण 14 करोड़ लोग राशन से वंचित हो रहे हैं।
सोनिया गांधी ने कहा कि यूपीए सरकार द्वारा लाया गया राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम एक ऐतिहासिक कदम था, जिसका उद्देश्य 140 करोड़ की आबादी के लिए खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना था। इस अधिनियम ने कोरोना महामारी के संकट के दौरान लाखों संवेदनशील परिवारों को भुखमरी से बचाने में अहम भूमिका निभाई। साथ ही, इस कानून ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को भी आधार प्रदान किया।
उन्होंने आगे कहा कि “खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत ग्रामीण आबादी के 75% और शहरी आबादी के 50% लोगों को सब्सिडी वाला अनाज पाने का अधिकार है। लेकिन लाभार्थियों के लिए कोटा अभी भी 2011 की जनगणना के आधार पर तय किया जाता है, जो अब एक दशक से भी अधिक पुराना हो चुका है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार जनगणना में 4 साल से अधिक की देरी हुई है। यह जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन अब तक स्पष्ट नहीं है कि इसे कब पूरा किया जाएगा।”
सोनिया गांधी ने आगे कहा कि “बजट आवंटन से साफ है कि इस साल भी जनगणना होने की संभावना नहीं है।”
14 करोड़ लोग लाभ से वंचित
उन्होंने कहा कि “इस देरी के कारण लगभग 14 करोड़ पात्र भारतीयों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत मिलने वाले उचित लाभ से वंचित किया जा रहा है। सरकार को जल्द से जल्द जनगणना पूरी करने को प्राथमिकता देनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी पात्र व्यक्तियों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गारंटीकृत लाभ मिलें। खाद्य सुरक्षा कोई विशेषाधिकार नहीं, बल्कि एक मूलभूत अधिकार है।
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