कच्छ के लखपत तालुका के छह गांवों में, लगातार चार दिनों के भीतर 12 लोगों की रहस्यमयी मौतों ने प्रशासन को चिंता में डाल दिया है। ये मौतें एक अज्ञात बुखार के कारण हो रही हैं, जिसका अब तक कोई स्पष्ट निदान नहीं हो पाया है। मौतें मुख्यतः पशुपालक समुदाय में दर्ज की गई हैं, जिससे पशुपालन विभाग भी अलर्ट पर है और किसी भी पशुजनित संक्रमण की संभावना को खारिज करने के लिए जांच में जुटा हुआ है।
पिछले कुछ दिनों में इलाके में तेज बारिश और बाढ़ के बाद, इन गांवों में अचानक से बुखार, ठंड, खांसी, और निमोनिया जैसे लक्षण वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई। मरीजों को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और कुछ को अहमदाबाद तक ले जाया गया, लेकिन वे बुखार से उबर नहीं पाए। अब तक 12 लोगों की मौतें हो चुकी हैं, जिनमें से 10 की मौत का कारण संभावित रूप से निमोनिटिस बताया जा रहा है।
ये मौतें पिछले चार दिनों में दर्ज की गई हैं, जिससे गांवों में दहशत का माहौल है। लोगों का कहना है कि पहले उन्हें निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया, फिर दयापर सीएचसी और बाद में भुज जनरल अस्पताल ले जाया गया, लेकिन मरीजों की स्थिति में सुधार नहीं हो सका।
लखपत तालुका के छह गांव, जो बाढ़ और भारी बारिश के कारण पहले ही प्रभावित थे, अब इस अज्ञात बुखार से भी जूझ रहे हैं। इन गांवों में पशुपालक समुदाय सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, जिसके कारण प्रशासन ने यहां विशेष ध्यान दिया है।
राज्य प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए विशेष स्वास्थ्य टीमों को प्रभावित क्षेत्रों में भेजा है। कच्छ के कलेक्टर अमित अरोड़ा के अनुसार, “यह बीमारी फिलहाल संक्रामक नहीं लगती है, क्योंकि प्रभावित लोगों में इन्फ्लुएंजा जैसे लक्षण और निमोनिटिस पाया गया है। अतिरिक्त डॉक्टरों को सीएचसी में तैनात किया गया है, और राजकोट से रैपिड रिस्पॉन्स टीम (आरआरटी) को भी भेजा गया है।”
हालांकि अब तक बीमारी का सही निदान नहीं हो पाया है, राज्य स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने बताया कि विशेषज्ञों की एक टीम राजकोट पीडीयू मेडिकल कॉलेज और गुजरात अदानी मेडिकल कॉलेज से भेजी गई है, जो इलाके में
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