राजकोट: गुजरात के राजकोट जिले के जसदण तालुका के जंगवड़ गांव में एक 11 वर्षीय बच्चे की अचानक दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। कक्षा 5 में पढ़ने वाले हेतांश रश्मिकांतभाई दवे को मंगलवार शाम अचानक सीने में तेज दर्द हुआ। परिवार ने उसे तुरंत एक निजी अस्पताल पहुंचाया, लेकिन इलाज शुरू होने से पहले ही डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इतनी कम उम्र में हार्ट अटैक से हुई इस दुखद घटना ने पूरे इलाके में चिंता की लहर दौड़ा दी है।
हाल ही में खेल महाकुंभ में लिया था हिस्सा
हेतांश पढ़ाई में अच्छा होने के साथ-साथ खेलकूद में भी रुचि रखता था। उसने दस दिन पहले ही खेल महाकुंभ में तालुका स्तर पर भाग लिया था। पूरी तरह स्वस्थ दिखने वाला यह बच्चा अचानक कैसे दिल के दौरे का शिकार हो गया, यह सवाल परिवार के साथ-साथ चिकित्सा विशेषज्ञों को भी सोचने पर मजबूर कर रहा है।
शारीरिक समस्या का कोई रिकॉर्ड नहीं
हेतांश के परिवार के मुताबिक, उसे किसी भी प्रकार की कोई पूर्व स्वास्थ्य समस्या नहीं थी। डॉक्टरों की प्रारंभिक जांच में हार्ट अटैक को मौत का कारण बताया जा रहा है, लेकिन वास्तविक कारण का पता मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद ही चलेगा।
अहमदाबाद में भी हुआ था ऐसा ही मामला
गुजरात में इस तरह की यह पहली घटना नहीं है। 11 जनवरी को अहमदाबाद के थलतेज इलाके के जेबार स्कूल में 8 वर्षीय गार्गी रानपारा की भी अचानक मौत हो गई थी। सीढ़ियां चढ़ते समय उसे सीने में दर्द हुआ, जिसके बाद वह लॉबी में एक कुर्सी पर बैठ गई और कुछ ही देर में बेहोश होकर गिर पड़ी। अस्पताल ले जाने के बावजूद डॉक्टर उसे बचा नहीं सके।
क्या बदलती जीवनशैली है जिम्मेदार?
बच्चों में दिल से जुड़ी बीमारियां बेहद दुर्लभ मानी जाती हैं, लेकिन हाल के वर्षों में इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं। पहले यह समस्याएं अधिकतर बुजुर्गों में देखी जाती थीं, लेकिन अब कम उम्र के बच्चों में भी हार्ट अटैक के मामले सामने आ रहे हैं। इसके पीछे मुख्य रूप से बदलती जीवनशैली, खानपान में असंतुलन, शारीरिक गतिविधियों की कमी और बढ़ता मानसिक तनाव हो सकते हैं।
समाज और चिकित्सा क्षेत्र को सतर्क रहने की जरूरत
इस तरह की घटनाएं हमें सतर्क रहने का संदेश देती हैं। बच्चों की सेहत पर अधिक ध्यान देने, उनके खानपान और शारीरिक गतिविधियों को संतुलित करने की जरूरत है। इसके अलावा, समय-समय पर हेल्थ चेकअप करवाना भी अनिवार्य हो सकता है।
हेतांश और गार्गी की असमय मृत्यु समाज के लिए एक चेतावनी है कि अब समय आ गया है कि हम अपने बच्चों के स्वास्थ्य को गंभीरता से लें और उनकी दिनचर्या को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
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