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पद्मश्री ज्योति भट्ट की तस्वीरों का दस्तावेजीकरण सम पुस्तक: कलाग्रंथ _कलागंगोत्री 9 : ” क्यां ? क्यारे ? केम ?”

27-07-2023

वडोदरा के गौरव पुरस्कार विजेता पद्मश्री ज्योति भाई भट्ट की कला यात्रा को दर्शाते पुस्तक कलाग्रंथकालागंगोत्री 9 : ” क्या ?क्यारे ? केम?”में उनकी तस्वीरों और प्रासंगिक कथाओं को समाहित किया गया है।यह कलाग्रंथ जातक कथा फोटोलॉग के रूप में प्रकाशित किया गया है।


एक तस्वीर हजार शब्दों में कही गई बात का प्रतिरूप है।ऐसी ही तस्वीरी कला के सिद्धहस्त है ,वडोदरा के तस्वीर कलाकार पद्मश्री ज्योति भट्ट।उनकी तस्वीरों में उनकी सोच की अभिव्यक्ति की स्पष्ट झलक नजर आती है।इसीलिए वे फोटो जर्नलिज्म से दो कदम आगे है।उनकी तस्वीरों के किरदार आम नागरिक,प्रकृति,और सामान्य जनजीवन है।ये तस्वीरें ब्लैक एंड व्हाइट में है,लेकिन कही रंगो की कमी खलती नहीं है।फोटोलॉग रूप में कलातीर्थ द्वारा प्रकाशित कलाग्रंथ कलागंगोत्री 9: “क्या?क्यारे? केम?”ज्योति भाई भट्ट की तस्वीरों का जैसे दस्तावेजीकरण ही है।प्रकृति,ग्रामीण जीवन,घर,आंगन,खेत_खलिहान,लोककला को संजोकर भावी पीढ़ी तक पहुंचाती गृहिणी की जीवंतता का झरना आनेवाले वक्त में सूख जाए ,उससे पहले उन्होंने इसे अपने कैमरे में क़ैद किया।उन्होंने राजस्थान की लोककला,रहन सहन,महिलाओं के हाथ की कुशल कारीगरी, मांडना,मध्य प्रदेश का म्यूरल आर्ट,गुजरात का पिथोरा,समेत देश के विभिन्न भागों की कला को कैमरे में क़ैद कर कालजई बना दिया।इस पुस्तक में अल्फा बीटा ओमेगा तस्वीरों में पत्थर, दीवारे,पेड़ जैसी चीजों को सांकेतिक अर्थ में पेश किया है।कई तस्वीरों के साथ दुखदाई प्रसंग भी जुड़े है।


पद्मश्री ज्योति भट्ट का जन्म संस्कार और संस्कृति नगरी कहे जाते भावनगर में शिशुविहार के प्रणेता मान भाई भट्ट के घर हुआ।उनके पिता हमेशा कहते थे, ” जिंदा रहे तब तक विद्यार्थी ही रहना” ये बात उन्होंने गांठ बांध ली थी। भावनगर में 12 वीं तक शिक्षा ,भावनगर की प्रसिद्ध घरशाला में ली।वडोदरा की फाइन आर्टस फेकल्टी में उन्होंने पोस्ट डिप्लोमा किया। 1954 में नेहरू ने पार्लियामेंट हाउस में 100 चित्र लगाने का फैसला किया। जिसमें एन. एस. बेंद्रे सर के चार विद्यार्थियों की तस्वीरें गई,जिसमे से एक थे ज्योति भाई भट्ट।उन्होंने कैमरे के साथ साथ लेखिनी का भी उपयोग किया।उनके कई कला विषयक लेख प्रकाशित हुए।


कहते है कला स्वयं अपने आप में एक तीर्थ है।इस तीर्थ तक पहुंचने के लिए भी उतनी ही तैयारी चाहिए। सत्यम शिवम् सुंदरम में सुंदरम ही है कला साधना।इस कला साधना को अपने जीवन में आत्मसात करने वाले पद्मश्री ज्योति भट्ट वडोदरा शहर की शान,सम्मान,और गौरव है।