CATEGORIES

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
Friday, November 8   7:25:33

पद्मश्री ज्योति भट्ट की तस्वीरों का दस्तावेजीकरण : ” कहां ? कब? क्यों ,?”

28-07-2023

एक तस्वीर हजार शब्द कहती है।पर कभी कभी कोई एक तस्वीर हमें नि:शब्द कर देती है।वडोदरा निवासी प्रसिद्ध तस्वीरकार पद्मश्री ज्योति भट्ट की तस्वीरों को देखते ही यह बात सही मायनो में समझ में आती है। कला के बहुत ही लोकप्रिय स्वरूप फोटोग्राफी द्वारा अपनी सोच,दर्शन को अभिव्यक्त करने की कुशलता ज्योति भट्ट की तस्वीरों में स्पष्ट दिखती हैं।इसीलिए उनकी तस्वीरें फोटो जर्नलिज्म से पांच कदम आगे है।


भारतीय कला न तो संपन्न लोगो तक सीमित है,और न ही आर्ट स्टूडियोज की दीवारों में कैद है।कला जीवन का एक हिस्सा है,कला जीवन का आनंद और उमंग है,जो हरेक व्यक्ति व्यक्तिगत या सामूदायीक रूप से अभिव्यक्त करता है।कला, जीवन का शृंगार है। कला के साथ अनेक मान्यताएं और प्रथाएं जुड़ी है,लेकिन परंपरागत होने के बावजूद कला का उद्देश्य जीवन को नित्य नवीन बनाना है।


हाल ही में कलातीर्थ द्वारा ज्योतिभाई भट्ट के जीवन भर की तस्वीरों को एकत्र कर कलाजगत को अर्पण करने के उद्देश्य से “कहां?कब?क्यों? ” पुस्तक प्रकाशित की गई है।यह पुस्तक पद्मश्री ज्योति भट्ट की तस्वीरों का जैसे एक दस्तावेजीकरण ही है।
इस पुस्तक में उनकी तस्वीरों के साथ प्रासंगिक कथाएं भी शामिल है।यह कलाग्रंथ जातक कथा फोटोलॉग के रूप में प्रकाशित की गई है। उनकी श्वेत श्याम तस्वीरों में भी लोक संस्कृति के रंगो का अनुभव होता है।यह सृष्टि प्राण और प्रकृति से बनी है।

प्रकृति अगर संसार की जननी है, तो स्त्री अपने संसार की जननी है।ज्योति भट्ट की तस्वीरों में प्रकृति,ग्रामीण जीवन,घर ,आंगन,खेत ,खलिहान,गृहिणियों की लोककला,आदिवासी लोककला,सभी कुछ झलकता है। वे , यह कलाएं मूलभूत रूप से बिसार दी जाए इससे पहले कैमरे में क़ैद करना चाहते थे।इसके लिए उन्होंने भारत भ्रमण किया,और सभी राज्यों,क्षेत्रों की धरोहर समान लोककला को अपने कैमरे में क़ैद किया। गुजरात का पिथोरा,राजस्थान की रंगबिरंगी संस्कृति,मध्य प्रदेश का म्यूरल आर्ट,वैष्णव हवेली भित्तिचित्र आदि को उन्होंने तस्वीरों के माध्यम से कालजई बना दिया है।उनकी तस्वीरें जैसे अपनी बात कहती है।यह पुस्तक एक अनोखे सफर पर ले जाती है।


भावनगर में शिशुविहार के प्रणेता पिता मान भट्ट के घर में जन्मे ज्योति भट्ट ने अपने पिता के उसूलों के अनुसार सादा जीवन जिया है। अनेकों अवार्ड्स से सम्मानित अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पद्मश्री ज्योति भट्ट ने आज भी अपनी कलासाधना का सफर जारी रखा है।


कहते है कला स्वयं अपने आप में तीर्थ है।सत्यम शिवम् सुंदरम में सुंदरम ही है ,कला साधना।इस कला साधना को जीवन में आत्मसात करने वाले पद्मश्री ज्योति भट्ट वडोदरा शहर की शान,सम्मान और गौरव है।