21-07-2023
साइंटिस्ट्स ने दुनिया का पहला ऐसा रोबोट बनाया है जिसे पसीना आता है। इतना ही नहीं ये ठंडे टेम्प्रेचर में कांपता भी है और सांस भी लेता है। साइंटिस्ट्स के मुताबिक, इंसानी शरीर गर्म हवाओं से कैसे निपटता है, इसे स्टडी करने के लिए ये रोबोट बनाया गया है।
एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स ने ह्यूमन बॉडी के थर्मल फंक्शन को समझने के लिए एक एसे मेनिक्विन (पुतले) को रीडिजाइन किया जिसे स्पोर्ट्स क्लोदिंग कंपनी इस्तेमाल करती हैं। इसका नाम ANDI रखा गया।रोबोट ANDI को पसीना आए, इसका टेम्प्रेचर पता चल सके इसलिए इसमें 35 जगहों पर सिंथेटिक पोर्स और हीट फ्ल्क्स सेंसर लगाए गए। इस रोबोट के जरिए इंसानों पर हो रहे क्लाइमेट चेंज के असर को भी स्टडी किया जा सकता है।
साइंटिस्ट जेनी वैनोस ने कहा- लोग हीटवेव से परेशान हैं। इससे निपटने के उपाय ढूंढने के लिए हम किसी इंसान पर एक्सपेरिमेंट नहीं कर सकते। इंसान कितना गर्म तापमान सह सकता है, ये जानने के लिए हम उसे धूप में या गर्म कमरे में नहीं रख सकते। इससे उसकी जान को खतरा हो सकता है। इसलिए हमने ANDI को तैयार किया।
ANDI की टेस्टिंग और इस पर स्टडी करने के लिए इसे हीट चेंबर में रखा गया। उन्होंने कहा- हीट चेंबर को हम ‘वॉर्म रूम’ कह रहे हैं। यहां का तापमान 60 डिग्री सेल्सियस (140 डिग्री फारेनहाइट) रखा गया। इस रूम में ANDI का सामना गर्म हवाओं और सोलर रेडिएशन से करवाया गया।ANDI को हाई टेम्परेचर में रखने के बाद इसमें होने वाले बदलावों से जुड़ा डेटा कलेक्ट किया जाता है। इसमें लगे सेंसर्स हीट, सोलर रेडिएशन के संपर्क में आते ही बॉडी में होने वाले रिएक्शन्स को रिकॉर्ड करते हैं। रोबोट के हर पार्ट में चैनल लगे हैं, ये इस मशीन यानी रोबोट के अलग-अलग हिस्सों को ऑपरेशन यानी काम करने के लिए कनेक्ट करते हैं। यही वो चैनल्स या पार्ट्स हैं जिनके जरिए पसीना आता है। दरअसल, इस रोबोट का एक अंदरूनी हिस्सा ऐसा भी है, जहां पानी है। जब चैनल्स हीटअप यानी गर्म होते हैं तो यही पानी पसीने में तब्दील हो जाता है।
साइंटिस्ट्स के मुताबिक- रोबोट को जब एक स्पेशल फैब्रिक (कपड़े) में लपेटा गया तो इस फैब्रिक ने पसीना सोख लिया। इससे रोबोट के टेम्परेचर में बदलाव आए और ये काफी हद तक ठंडा हो गया।ANDI में 35 जगहों पर सिंथेटिक पोर्स और हीट फ्ल्क्स सेंसर लगे हैं।
लोगों की गर्मी को सहने की क्षमता अलग-अलग होती है। ANDI को इस तरह से तैयार किया गया है कि वो वजन, उम्र के आधार पर अलग-अलग लोगों के मुताबिक गर्मी के असर पर रिएक्ट कर सके। यानी ये रोबोट एक डायबेटिक और नॉर्मल इंसान के थर्मल फंक्शन के बीच फर्क पहचान सकता है।
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