आज 6 अप्रैल को पूरे देश में रामनवमी का पर्व श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन केवल भगवान श्रीराम के जन्म का उत्सव नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है जब हम उनके जीवन से जुड़े आदर्शों और शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारकर हर कठिनाई को सरल बना सकते हैं। रामायण के प्रसंग आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने त्रेतायुग में थे। इस लेख में जानिए श्रीराम के जीवन से मिली ऐसी गूढ़ सीखें, जो आपको हर परिस्थिति में धैर्य, सफलता और शांति की राह दिखाएंगी…
1)दूसरों की बातों से भ्रमित न हों
श्रीराम की सौतेली माता कैकयी को राम से अत्यंत स्नेह था, लेकिन मंथरा की चालाकी और कटु वचनों ने कैकयी की बुद्धि भ्रमित कर दी। उसने राम को शत्रु समझ लिया और राजा दशरथ से उन्हें वनवास और भरत के लिए राज्य मांग लिया।
सीख: यदि हम हर किसी की बातों में आकर निर्णय लेने लगें, तो जीवन में भ्रम और विनाश दोनों निश्चित हैं। अपने विवेक का उपयोग करें।
2)हर परिस्थिति के लिए तैयार रहें
राज्याभिषेक की तैयारी थी, लेकिन उसी दिन श्रीराम को 14 वर्षों के वनवास का आदेश मिला। न कोई शिकायत, न कोई क्रोध—राम ने इस कठिनाई को भी ईश्वर की इच्छा मानकर सहजता से स्वीकार कर लिया।
सीख: जीवन अनिश्चितताओं से भरा है। बदलते हालात में वही सफल होता है जो हर स्थिति के लिए तैयार रहता है और सकारात्मक सोच रखता है।
3)मित्रों से किए वादों को न भूलें
राम ने बाली का वध कर सुग्रीव से किया वचन निभाया, लेकिन सुग्रीव राजा बनते ही अपना वादा भूल गए। जब लक्ष्मण ने उन्हें स्मरण कराया, तब जाकर उन्होंने सीता की खोज शुरू की।
सीख: दोस्ती का अर्थ सिर्फ लेना नहीं, निभाना भी है। वचन देना आसान है, निभाना कठिन—पर वहीं सच्चे चरित्र की पहचान होती है।
4. जब तक कार्य पूरा न हो, तब तक विश्राम न करें
हनुमान जी जब लंका जा रहे थे, तब मैनाक पर्वत ने उन्हें विश्राम का आग्रह किया। लेकिन हनुमान ने विनम्रता से कहा, “जब तक श्रीराम का कार्य पूरा न हो, विश्राम नहीं कर सकता।”
सीख: लक्ष्य को पाने की ललक हो तो राह की थकान महसूस नहीं होती। अधूरे कार्यों को छोड़कर विश्राम करना वीरों की पहचान नहीं।
5)बुद्धिमानी से बड़ी समस्याएं हल होती हैं
रास्ते में सुरसा ने हनुमान जी का मार्ग रोका। लड़ाई की बजाय हनुमान ने चतुराई से अपना आकार छोटा कर उसके मुंह में प्रवेश कर वापस बाहर आ गए।
सीख: हर समस्या का समाधान शक्ति से नहीं, बुद्धि से भी निकाला जा सकता है। विवेकपूर्ण निर्णय ही संकट में विजय दिलाता है।
6. अपने बल और योग्यता पर घमंड न करें
रावण को अपनी शक्ति, संपत्ति और ज्ञान का घमंड था। उसने श्रीराम को एक सामान्य मानव समझा और सीता का हरण कर लिया। परिणामस्वरूप उसका समूल नाश हो गया।
सीख: अहंकार इंसान की सबसे बड़ी कमजोरी है। जो अपनी शक्ति का घमंड करता है, उसका अंत सुनिश्चित होता है।
रामनवमी सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि यह अवसर है धर्म, मर्यादा, वचनबद्धता और सहनशीलता जैसे गुणों को आत्मसात करने का।
प्रभु श्रीराम का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे संकट कितना भी बड़ा क्यों न हो, यदि नीयत साफ है, सोच सकारात्मक है और विवेक साथ है—तो हर चुनौती एक अवसर बन जाती है।
तो इस रामनवमी पर आइए, सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि प्रभु श्रीराम के आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लें। यही सच्ची भक्ति है।
जय श्रीराम!

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