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पति की गुलाम या संपत्ति नहीं है पत्नी, साथ रहने को नहीं किया जा सकता मजबूर: सुप्रीम कोर्ट

3 Mar. Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि पत्नी अपने पति की गुलाम या विरासत नहीं होती है, जिसे पति के साथ जबरन रहने को कहा जाए। कोर्ट ने यह बयान एक ऐसे मामले की सुनवाई के दौरान दिया जिसमें पति ने कोर्ट से गुहार लगाकर अपनी पत्नी को साथ रहने के आदेश देने की मांग की थी।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन और हेमंत गुप्ता ने कहा, ‘आपको क्या लगता है? क्या एक महिला गुलाम या संपत्ति है जो हम ऐसे आदेश दें? क्या महिला कोई संपत्ति है जिसे हम आपके साथ जाने को कहें?’

दरअसल, गोरखपुर में एक फैमिली कोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम (एचएमए) की धारा 9 के तहत पुरुष के पक्ष में संवैधानिक अधिकारों की बहाली पर 1 अप्रैल 2019 को आदेश दिया था। पत्नी ने तब फैमिली कोर्ट में कहा था कि साल 2013 में शादी के बाद से ही पति ने दहेज के लिए उसे प्रताड़ित किया ऐसे में उसे मजबूरन शादी से अलग होना पड़ा. साल 2015 में पत्नी ने गुजारा-भत्ता के लिए कोर्ट में अर्जी दी। जिसके बाद गोरखपुर की अदालत ने पति को आदेश दिया कि वह पत्नी को गुजारा-भत्ता के तौर पर हर महीने 20 हजार रुपये दे।

इसके बाद पति ने फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर अपने संवैधानिक अधिकारों को बचाने की मांग की थी।गोरखपुर की फैमिली कोर्ट ने दूसरी बार भी अपने आदेश को जारी रखा, जिसके बाद पति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को सही बताया और केस को खारिज कर दिया। आखिर में पति ने सर्वोच्च अदालत में अपील की।