10 Mar. Haryana: हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में बुधवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी ने मनोहर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। स्पीकर की अनुमति के बाद नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रस्ताव पर बोलना शुरू किया। हुड्डा ने दिल्ली सीमा पर चल रहे आंदोलन में किसानों की मौत के मसले से अपना भाषण शुरू किया।
प्रस्ताव पेश करने के साथ ही हुड्डा ने सीक्रेट वोटिंग करवाने की मांग की। वही मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि कांग्रेस को कभी ईवीएम पर विश्वास नहीं होता है। कभी देश की सेना पर अविश्वास हो जाता है, तो अब सत्ता पर भी अविश्वास बढ़ गया है। आज सदन में जो माहौल बना उसका कोई मतलब नहीं है।
वही आखिर में जब अविश्वास प्रस्ताव को लेकर वोटिंग हुई तो 32 विधायकों ने इसके समर्थन में मत डालना। जबकि 55 विधायकों ने सरकार के पक्ष में समर्थन दिखाया। इससे स्पष्ट हो गया कि अविश्वास प्रस्ताव गिर गया है और भाजपा एवं जजपा का गठबंधन सत्ता में बना रहेगा।
सदन की कार्यवाही के अपडेट्स
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए मनोहर लाल ने कहा कि आलोचना करना अच्छे विपक्ष का काम है। मैं कहता हूं, आप हर छह महीने में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएं। इससे हमें ताकत मिलेगी। भले ही विरोध है, लेकिन अच्छे काम की तारीफ भी होनी चाहिए।
इससे पहले पलवल के पृथला के निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत ने कहा कि पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब की अपनी ही कांग्रेस सरकार को हरियाणा की कृषि नीतियां अपनाने की नसीहत दे रहे हैं, लेकिन यहां उसी पार्टी के नेता भूपेंद्र हुड्डा उन्हीं नीतियों का विरोध कर रहे हैं। नकली मुख्यमंत्री रहे हैं वह। असली मुख्यमंत्री तो मनोहर लाल हैं।
भाजपा के विधायक असीम गोयल ने अपने भाषण में कहा कि जो लोग नारे लगाते हैं, ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशा अल्लाह-इंशा अल्लाह…’ कांग्रेस उनसे मिली हुई है। जब वह यहां नहीं रुके और देशद्रोही शब्द का इस्तेमाल किया तो इस पर कांग्रेस विधायक हंगामे पर उतर आए। वो वेल तक पहुंच गए। उनका आरोप है कि गोयल ने किसानों को देशद्रोही कहा है, हालांकि गोयल ने ये शब्द किसानों के लिए इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने कहा, मैं किसानों को नमन करता हूंं, पर कांग्रेस के लोग गद्दार हैं।
JJP विधायक ईश्वर सिंह को भी अविश्वास प्रस्ताव पर बोलने का मौका मिला। हालांकि ईश्वर सिंह और रघुबीर कादियान के बीच नोक-झोंक हो गई। ईश्वर सिंह ने अविश्वास प्रस्ताव का विरोध किया और मिर्चपुर कांड को सदन में उठाया। उन्होंने कहा कि असली किसान हम, हमसे बढ़िया किसान कोई हो ही नहीं सकता। इस पर ईश्वर के साथ कांग्रेस विधायक शकुंतला खटक और बिशन लाल सैनी उलझ गए।
जननायक जनता पार्टी (जजपा) के टोहाना से विधायक देवेंद्र बबली को बोलने का मौका नहीं दिया गया तो उन्होंने इस्तीफा देने की बात कही।
इससे पहले अपने अविश्वास प्रस्ताव में पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि 2019 में वोटिंग से पहले लोगों का विश्वास जीतने के लिए एक पार्टी (BJP) 75 पार का दावा कर रही थी तो दूसरी पार्टी (JJP) यमुना पार करने की बात कह रही थी। वोटिंग में जनता ने दोनों को ही नकार दिया। यह अलग बात है कि किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। बाद में एक-दूसरे का गला काटने वाली पार्टियां एक-दूसरे की दोस्त बन बैठीं।
वहीं, मुख्यमंत्री मनोहर लाल, डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला और गृह मंत्री अनिल विज ने दावा किया है कि यह प्रस्ताव ही गिरेगा, सरकार नहीं। हमें किसी भी तरह का खतरा नहीं है।
क्यों बदले बदले से हैं जजपा के विधायकों के तेवर?
हरियाणा विधानसभा में सरकार की तरफ से 12 मार्च को अपने कार्यकाल का दूसरा बजट पेश किया जायेगा। हालांकि दूसरी ओर हालात कुछ ठीक मालूम नहीं होते हैं। सत्ता दल की सहयोगी जननायक जनता पार्टी (JJP) के विधायकों के तेवर भी बदले-बदले से नज़र आ रहे हैं। बीते दिन पार्टी के चार विधायकों ने कृषि कानूनों पर अपने-अपने ढंग से विचार प्रस्तुत किये। इनमें से टोहाना के विधायक देवेंद्र बबली समेत तीन के सुर बगावत वाले हैं।
नाराज विधायकों का क्या कहना है?
जजपा के विधायक रामकुमार गौतम ने मंगलवार को ही सदन में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान तीन कृषि कानूनों को लेकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत अच्छा काम किया है। अगर फिर भी कानून को लेकर किसानों को कोई दिक्कत है तो तीन साल दो माह तक कानून को रोक दें। 2024 के लोकसभा चुनाव जीत हासिल करने के बाद लागू कर दें। हालांकि अविश्वास प्रस्ताव पर गौतम ने वोट देने से इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि ये कृषि कानून खट्टर सरकार ने नहीं बनाए हैं। मैं इस वक्त खट्टर सरकार के साथ हूं।
टोहाना के विधायक देवेंद्र बबली ने विधानसभा के बाहर मीडिया से रू-ब-रू होकर कहा कि अगर विधायक अपने इलाकों में रहे तो लोग उन्हें पीट देंगे। इन्हें लोहे के हेलमेट बनवाने पड़ेंगे, खासकर जजपा विधायकों को। अगर किसानों के मसले का हल नहीं होता तो जजपा को गठबंधन से बाहर आ जाना चाहिए। पार्टी की तरफ से जारी व्हिप के चलते मैं अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सरकार के साथ रहूंगा, लेकिन मैं उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से मांग करता हूं कि वह गठबंधन से बाहर आ जाएं।
पार्टी के बरवाला से विधायक जोगीराम सिहाग ने कहा कि हरियाणा सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर कानून बनाए। किसानों की फसल MSP पर ही खरीदी जानी चाहिए। सिहाग इससे पहले भी बगावती तेवर दिखा चुके हैं। उन्होंने कहा था कि किसानों की मांग बिल्कुल जायज है, मैं उनके साथ खड़ा हूं। उन्होंने कहा था कि विधायक बाद में, पहले मैं किसान हूं, जरूरत पड़ी तो इस्तीफा देने को तैयार हूं।
इससे पहले विधानसभा में ईश्वर सिंह ने सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए अपनी बात शुरू की और फिर देखते ही देखते तीखे सवाल दागने शुरू कर दिए। उन्होंने बजट में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए कुल आवंटित राशि में से 40% हिस्सा जारी नहीं होने पर सवाल उठाए।
अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री डॉ. बनवारी लाल के जवाब से असंतुष्ट ईश्वर सिंह लगातार वित्त मंत्री से जवाब की मांग पर अड़े रहे, जिसके बाद मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा कि वह बजट पर चर्चा के दौरान इसका जवाब देंगे। इसके बाद BPL परिवारों को प्लॉट आवंटन का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2008 में आखिरी बार 100 गज के प्लॉट दिए गए थे। 54% लोगों को प्लॉट मिले, जबकि बाकी 46% को या तो जमीन पर कब्जा ही नहीं मिला या फिर पंचायतों ने इन्हें वापस ले लिया। BPL परिवारों को प्लॉट देने की योजना फिर शुरू की जानी चाहिए।
विधानसभा में क्या है पार्टियों की स्थिति
2019 अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनाव में 90 में से 40 सीट भाजपा को हासिल हुई। 31 विधायकों के साथ कांग्रेस दूसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी। वहीं, दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी के खाते में 10 सीट आई। 7 पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहे। एक सीट इंडियन नेशनल लोकदल को गई तो एक गोपाल कांडा की हरियाणा लोकभलाई पार्टी को।
अब कृषि कानूनों के विरोध में महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू और चरखी दादरी के विधायक सोमबीर सांगवान सरकार से समर्थन वापस ले चुके हैं। ऐलनाबाद सीट से विधायक इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला अपना पद छोड़ इस्तीफा दे चुके हैं। साथ ही कालका के कांग्रेस विधायक प्रदीप चौधरी को तीन साल की सजा होने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है।
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