UK, कनाडा, इटली और UAE जैसे कई देश उन देशों में शामिल हैं, जिन्होंने मिक्स-एंड-मैच इनोक्यूलेशन की अनुमति दी है, जिससे वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इससे लाभ होगा।जिसके बाद अब दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन की मिक्सिंग पर बहस चलने लगी है।
इसी के चलते भारत में भी, कोविड -19 टीकों को स्विच करने की प्रभावकारिता की टेस्टिंग करने के लिए कई अध्ययन चालू हैं।
दरासल जून के महीने में, इटली के प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी ने अलग अलग कोविड 19 वैक्सीन ली थी। 73 वर्षीय ने अपनी दूसरी खुराक के लिए फाइजर-बायोएनटेक जैब पर स्विच किया था। जिससे पहले उन्होंने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन ली थी। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल को भी एस्ट्राजेनेका की पहली खुराक दी गई थी जिस के बाद मॉडर्न वैक्सीन मिल दी गई थी।
जिसके बाद US नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने हाल ही में मिश्रित बूस्टर खुराक का परीक्षण शुरू किया है। रूसी शोधकर्ताओं ने कहा है कि वे अपने स्पुतनिक वी वैक्सीन और एस्ट्राजेनेका शॉट के संयोजन का परीक्षण कर रहे हैं। स्पुतनिक मिक्स-एंड-मैच के फार्मूले पर आधारित है क्योंकि इसके पहले और दूसरे शॉट में पहले से ही अलग-अलग फॉर्मूलेशन होते हैं।
मिक्स–एंड– मैच सुरक्षित है?
ऑक्सफोर्ड के आंकड़ों से पता चलता है कि टीकों को मिलाने से बुखार, थकान और सिरदर्द सहित हल्के और मध्यम साइड इफेक्ट की संभावना बढ़ सकती है। अधिकांश साइड इफेक्ट 48 घंटों के भीतर फीके पड़ जाते हैं। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है “कुछ अल्पकालिक नुकसान हो सकता है”। यह भी संभव हो सकता है कि ये साइड इफेक्ट्स एक मजबूत इम्यूनिटी का संकेत हो।
भारत का क्या कहना है?
भारत में हेल्थ मिनिस्ट्री के गाइडलाइंस के अनुसार जिस वैक्सीन का पहला डोज लिया है, उसका ही दूसरा डोज लेना होगा। अगर वैक्सीन का दूसरा डोज उपलब्ध नहीं है तो इंतजार करना होगा।
लेकिन इसके बावजूद, अब अधिकारी और वैज्ञानिक वैक्सीन मिक्सिंग के विकल्प पर विचार कर रहे हैं। जिसपर वैज्ञानिकों का मान ना है कि, भारत जल्द ही कोवीड -19 टीकों के लिए मिक्स एंड मैच अप्रोच का परीक्षण शुरू कर सकता है । नीति आयोग का कहा था कि म्यूटेटेड वैरिएंट से सुरक्षा और वैक्सीन की कवरेज बढ़ाने के लिए ये कदम उठाया जा रहा है।
आपको बता दें, मई में देश में उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में कम से कम 20 लोगों को कोविशील्ड को उनकी पहली खुराक के रूप में और कोवैक्सिन को उनकी दूसरी खुराक के रूप में दी गई थी। जिसके बाद केंद्र का ऐसा कहना है कि, टीकों की दो अलग-अलग खुराक देना “चिंता का विषय नहीं है”।
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