पिछले1महीने से पुरे विश्व में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध होने की आशंका जारी है। रूस ने यूक्रेनी बॉर्डर पर बहुत बड़ी संख्या में सैन्य मौजूदगी बढ़ाई है। करीब1लाख रूसी सैनिक रूस की पश्चिम सीमा पर एकत्रित हुए है जिसके जवाब में अमेरिका और qअन्य पश्चिमी देश सतर्क हो गए है।
सीमा पर रूसी सैनिकों की जमावट के जवाब में ब्रिटैन,अमेरिका और अन्य नाटो देशो ने यूक्रेन के समर्थन में सैन्य सहायता और उपकरण भेजने शुरु कर दिए है।
एक तरफ जहाँ नाटो संगठन और विश्व के अन्य शक्तिशाली देश रूस पर इस क्षेत्र में तनाव बढ़ाने का आरोप लगा रहे है, वही दूसरी तरफ रूस की सरकार ने इन सभी आरोपों को ख़ारिज किया है।
रूस लगातार इन आरोपों को गलत ठहराते हुए यह बता रहा है कि उसका यूक्रेन पर आक्रमण करने का कोई उद्देश्य नहीं है।
इसी के साथ रूस की नाटो देशो से मांग है कि वह यूक्रेन को अपने संगठन में शामिल न करे, जिसका कोई स्पष्ट जवाब अमेरिका या अन्य पश्चिमी नाटो देश नहीं दे रहे है।
यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर “खारखीव” को राष्टपति वोलोदीमीर ज़ेलेंस्की ने आगाह किया है कि अगर रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया तो यह शहर उनके कब्ज़े में जा सकता है। इसी आशंका के कारण वहाँ के यूक्रेन देश को समर्थन देने वाले नागरिक अपने आप को युद्ध के लिए हर तरीके से तैयार कर रहे है। खारखीव के नागरिको ने युद्ध के लिए ट्रेनिंग और अभ्यास की शुरुआत कर दी है।
इस पुरे तनाव के दौरान भारत ने कोई ठोस राय नहीं जताई है, सिर्फ तनाव कम होने की कामना की है। भारत के लिए इस समय किसी भी एक देश को समर्थन देना मुश्किल है, क्यूंकि, यदि भारत यूक्रेन और अन्य नाटो देशो का पक्ष लेता है तो वह अपने पुराने मित्र रूस को नाराज कर देगा, और यदि भारत ने रूस का पक्ष लिया तो वह यूक्रेन, अमेरिका और अन्य यूरोपी देशो से अपने अच्छे संबंध बिगाड़ लेगा।
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