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Jamnagar

सौराष्ट्र रत्न, सौराष्ट्र का पेरिस जामनगर: कुमकुम, बांधनी, काजल विशिष्ठ

आज गुजरात के प्रसिद्ध शहर जामनगर का स्थापना दिन है। यह एक सुंदर शहर है, इस शहर के बारे में जानने के लिए पूरा वीडियो जरूर देखे, हमारी चैनल को लाइक और सब्सक्राइब करना न भूलें। तो आज हम बात करते है, गुजरात के तटीय शहर जामनगर की।

गुजरात का अपना इतिहास रहा है। यहां पर कई नामी और लोकप्रिय शासकों ने शासन किया। यहां हर शहर,नगर,अपने शासकों की उदारता,लोकप्रेम के लिए जाना जाता है। फिर चाहे वह, वडोदरा, भावनगर, गोंडल, राजकोट या फिर जामनगर ही क्यों न हो।

आज चूंकि गुजरात के तटीय शहर जामनगर का स्थापना दिन है, सो आज बात करते है,जामनगर शहर की।
जामनगर का आज 483वा स्थापना दिवस है। सन 1540 में शुक्ल पक्ष के श्रावण मास की सप्तमी को बुधवार के दिन सन 1540 ईस्वी में नवानगर की राजधानी के रूप में जामनगर की स्थापना हुई। ऐतिहासिक रूप से नवानगर के नाम से यह शहर जाना जाता है ।सौराष्ट्र में जडेजा राजाओं की सबसे महत्वपूर्ण रियासतों में से एक कच्छ से आए राजपूत जाम रावल ने इस शहर की स्थापना की। जामनगर शहर गुजरात राज्य में अरब सागर का तटीय शहर है,जो कच्छ खड़ी के दक्षिण में स्थित है।

जाम रणमलजी द्वितीय के शासनकाल में भुजियो कोठो , लखोथो कोठो,रणमल झील का निर्माण हुआ ।उनके बाद जाम रणजीत सिंह आए जो एक सुधारवादी,आधुनिक विचार शैली वाले राजा थे। उन्होंने अपने शासनकाल में कई परिवर्तन किए ।उन्होंने जामनगर को सौराष्ट्र का पेरिस बनाया । शहर बनाने के लिए उन्होंने फ्रांसीसी वास्तुकार को विशेष रूप पर बुलाया, और शहर की डिजाइन तैयार करवाई ।यहां के घर ऐसे बनाए गए ताकि लोगों को पूर्ण रूप से शुद्ध हवा मिल सके। उन्होंने अपने शासनकाल में बड़ा बांध बनाया, सड़के इतनी चौड़ी थी कि लोग आश्चर्यचकित हो जाते थे।

काठियावाड़ का रत्न, सौराष्ट्र का पेरिस, तेल का शहर, पीतल नगर, कुमकुम ,काजल, बांधनी, सीमेंट, मिट्टी के बर्तन ,वस्त्र और नमक इस शहर की पहचान है। और आज जामनगर रिफायनरी विश्व की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी है।

यहां के देखने लायक स्थलों में रणमल झील यानी लखोटा तालाब। 5 लाख वर्ग मीटर में फैली यह झील तीन भाग में विभाजित है। 19वीं सदी में महाराजा जाम रणमलसिंह द्वितीय ने इसे बनवाया था ।तालाब के चारों ओर सुंदर मंडप,गढ़ और कलात्मक उद्यान मुख्य आकर्षण है। यहां के हर झरोखे की नक्काशी अद्भुत है। इसी तालाब के मध्य में द्वीप किला है, जिसमें हथियार पांडुलिपियों और 9 वीं से 18वीं सदी के मिट्टी के बर्तन संजोए गए हैं।

इसी लखोटा तालाब के किनारे प्रेम भिक्षु स्वामी ने सन 1964 में श्री बाल हनुमान संकीर्तन मंदिर की स्थापना की। और तब से यहां पर निरंतर 24 घंटे “श्री राम जय राम जय जय राम” की धुन चालू है। इसके कारण यह मंदिर को गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी स्थान मिला है।

यहां का प्रताप विलास पैलेस सन 1907 से 1915 के बीच में निर्मित हुआ, जिसे जाम रणजीत सिंह ने बनवाया। इंडोसार्सेनिक वास्तुकला नक्काशी की खूबसूरती देखते ही बनती है। लेकिन यह पैलेस आम जनता के लिए खुला हुआ नहीं है।

दरबारगढ़ पैलेस यूरोपीय स्थापत्य शैली से बनाया गया है। यहां के तिलपड़ी स्थल में राजा का राज्याभिषेक हुआ था। लकड़ी का सिंहासन, उनके शस्त्र अस्त्र, यहीं पर संरक्षित है ।2001 के भूकंप के वक्त यहां काफी नुकसान हुआ था, लेकिन फिर भी आज भी वह अपनी खूबसूरती कायम रखे हुए हैं।

यहां के चांदी बाजार में जैन मंदिर का बहुत ही सुंदर संकुल है। जिसे 1574 से 1622 के दौरान बनाया गया। यहां पर चार जिन मंदिर है।
1982 में बनी खिजड़िया बर्ड सेंचुरी, बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर भी देखने लायक स्थलों में से शुमार है।

इनके अलावा हिंदू राजपूत शैली वास्तुकला से बना भीड़भंजन महादेव मंदिर, जिसका शिखर दक्षिणी भारतीय शैली को मुखरित करता है ,दर्शनीय है ।वही बोहरा हजीरा एक संत मुस्लिम माता बावा का विश्राम स्थल है,जो सन 1540 से लोगों की आस्था का प्रतीक बना है ।इसके अलावा मरीन नेशनल पार्क भी दर्शनीय है।

जामनगर शहर का काजल और रंगबिरंगी कुमकुम की डिबिया महिलाओ के शृंगार को मुखरित करते है,तो यहां की बांधनी विश्व प्रसिद्ध है। जामनगर जाने वाले कुमकुम,काजल और बांधनी लिए बिना वापस नही आते।

जामनगर के महाराजा जाम रणजीत सिंह प्रसिद्ध क्रिकेटर भी रहे है।क्रिकेट इतिहास में उनका नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है ।उनके नाम से आज भी रणजी ट्रॉफी खेली जाती है जो अपने आप में विशिष्ट है।