अफ्रीका के केन्या में कौवों को जहर देकर मारने की जरूरत क्यों पड़ रही है?
हमने बचपन में प्यासे कौवे की कहानी सुनी है,जो अपनी बुद्धि से मटके से पानी पी कर उड़ जाता है।तो दूसरी ओर मूर्ख कौवे और चालाक लोमड़ी की कहानी भी सुनी है।इस कौवे की अफ्रीका के केन्या में मार डालने की प्रवृत्ति हमको आश्चर्यचकित करती है।लेकिन क्या आप जानते हैं कि अफ्रीका के केन्या तटीय इलाकों में The Indian house Crow की बढ़ती जा रही भारी तादाद,उनकी आक्रमकता, हिंसकता,बाकी पक्षियों की प्रजातियों,पशुधन,
पोल्ट्री फार्म के मुर्गों,चूजों के लिए खतरा बनती जा रही है।इसी कारण इन्हें जहर देकर मारने की नौबत आ गई है।
कहा जाता है कि वर्ष 1890 के आसपास पूर्व अफ्रीका के उस समय के ब्रिटिश संरक्षित झाँझिबार द्वीपसमूह पर बढ़ती कचरा समस्या से निपटने के इरादे से लाया गया।वहां से कौवे मुख्य भूमि और केन्या तक फैल गए।सबसे पहले इनको 1947में मोंबासा के बंदरगाह पर देख गया।मुश्किल ये है कि ये हिंसक,और शिकारी बन गए है।ये पक्षियों,के साथ सरीसृपों,एवं स्तनधारी प्राणियों का भी शिकार करते है।मुर्गी के चूजों पर तो ये बुरी तरह से झपटते है,और दर्दनाक मौत देते है।ये फसल को भी नुकसान करते है।इनकी संख्या में भी बेहिसाब बढ़ोतरी होने लगी है।ये प्रातः से सक्रिय हो जाते है, और इनका शोर लोगो को बहुत परेशान करता है।
गत मंगलवार से पक्षियों के लिए विशेष स्टारलीसाइड नामक एवियन पॉइजन देना शुरू किया है।वर्ष 2022 में इस जहर से करीब 2000 कौवों को मारा गया था।इनको प्रदेश से खत्म करने की जरूरत है,क्योंकि अगर ये कौवे नैरोबी पहुंच गए तो नैरोबी नेशनल पार्क में aneko प्रजातियों के पक्षियों पर भारी खतरा होगा।
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