Nalini Raval
20 Feb. Vadodara: चुनाव के दौरान जिस तरह से नेता आम जनता के बीच पांच साल में एक बार नजर आते है,और चुन लिए जाने के बाद जब किसी नागरिक को कोई मुश्किल होती है तो ,उस आदमी से कितने नेता मिलते है, यह एक बहुत बड़ा सवाल है। तब आम नागरिक को लगता है ,कि उसको लुभाकर कीमती वोट ले जाने वाले नेता तो उसे मूर्ख बना गए।क्योंकि उसकी,उसके विस्तार की,सड़क,पानी ,बिजली की स्थिति में तो कोई बदलाव ही नहीं आया।ऐसे में सोच समझ कर वोट करना ज़रूरी है।
इसी भाव को दर्शाती एक कविता…
चुनाव आया, चुनाव आया
पंजा -कमल बहुत कुछ लाया,
तुझसे लेने मत का दान,
लो आ गए नेता देखो,
चिकनी चुपड़ी बातों में जो आया
तो फिर तो तेरा
राम बोलो भाई राम…….!
बिजली -पानी, सड़क -राशन,
खर्च पढ़ाई का आनन फानन,
दिन में सब्ज बाग दिखाए,
तारे तोड़ लाने का वादा,
शहर को शंघाई बनाने का वादा,
रूखी सूखी भी छीन ले तेरी,
लो आए खोल बत्तीसी देखो,
चिकनी चुपड़ी बातों में जो आया
तो फिर तो तेरा
राम बोलो भाई राम……..!
चुनाव चुनाव का खेल रचाकर
जाएगा संसद में नेता,
जूते उछलेंगे,फटेंगे कपड़े,
तू तू मैं मैं करेगा नेता देखो,
रोज़ चलेगी छींटाकशी फिर,
चुनावी खर्च के पर्चे फटेंगे,
होंगे करोड़ों “स्विस ” में देखो
चिकनी चुपड़ी बातों में को आया
तो फिर तो तेरा
राम बोलो भाई राम……..!
न पंजा होगा,न कमल खिलेगा,
फिर तो तुझे ठेंगा दिखेगा,
,पांच साल के लिए भूलकर,
बिन बिजली की बस्ती को फिर,
लगेगा 75 वा साल देखो
चिकनी चुपड़ी में को आया
तो फिर तो तेरा
राम बोलो भाई राम…….!
इसीलिए कहती हूं….
ये रास्ते है वोट के ,
देना जरूर संभलके।
तुझको न ये लुभा ले,
नेता ज़रा मचल के।
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