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Monday, December 23   5:30:48

गलवान घाटी के शूर वीरों को नमन!!

आज के दिन यानि 15 जून, 2020.. पिछले साल की यह रात भारत के जवानों के लिए एक काली रात बनी हुई थी। इस रात पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी। जिसमें हमने हमारे 20 जवान खो दिए थे। भारत मां की सेवा में जुटे जवान, भारत मां के लिए शहीद हो गए थे।

आज उस काली रात को एक साल हो गया है। आइए जानते है असल में उस रात गलवान घाटी में आखिर ऐसा क्या हुआ था।
Line of Actual Control यानी की LAC पर झड़प से हफ्तों पहले तनाव बहुत अधिक था। दोनों पक्षों ने सीमा पर सैनिकों की संख्या में दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही थी। वहीं, 6 जून को दोनों सेनाओं के स्थानीय सैन्य कमांडरों के बीच हुई बातचीत से आपसी सहमति के बाद पीछे हटने की प्रक्रिया भी शुरू हुई थी। लेकिन उस समय दोनों सेनाओं के बीच एक बफर जोन बनाया जाना था, हालांकि, एक भारतीय कमांडर ने क्षेत्र में एक चीनी शिविर को देखा और निरीक्षण करने गया। यह विवाद लड़ाई में बढ़ गया, जिसके परिणामस्वरूप मौतें हुईं और चोटें भी आईं। हालांकि कोई गोली नहीं चलाई गई थी।

सेना ने शहीद हुए अपने 20 कर्मियों के सम्मान में एक स्मारक बनाया


बताया जाता है कि 20 में से 17 गंभीर जवानों ने जीरो से नीचे तापमान में दम तोड़ दिया था। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, LAC के इस पार भारतीय इलाके में पेट्रोलिंग पॉइंट 14 के पास चीनी सेना के टेंट हटाने पहुंचे भारतीय सैनिक पर चीनी सैनिकों ने पत्थर से भी हमला कर दिया था। उन्होंने कंटीले तार लगे डंडों, लोहे की छड़ों और लाठियों से हमला किया। इसके बाद भारतीय सैनिकों ने भी जवाबी कार्रवाई शुरू की। डंडों और मुक्कों से ये खूनी संघर्ष करीब 8 घंटे तक चला। सैनिक गलवान नदी से ऊपर एक टीले पर चले गए। कई जवानों के पैर फिसले जिससे वो नदी में गिर गए या पत्थरों से जा टकरा गए थे।
जीरो से नीचे तापमान और अंधेरे में भारतीय सेना अपने जवानों के शव लेकर नीचे आई। सुबह तक गंभीर रूप से घायल कई जवानों ने दम तोड़ दिया। बताया जाता है कि मौके पर चीनी सेना का ब्रिगेडियर आया और उसने सैनिकों से पीछे हटने और अपने जवानों के शव ले जाने को कहा। कहा जाता है कि झड़प में चीन का कमांडिंग अफसर भी मारा गया।