कल रात करीबन 11:30 बजे आई खबर ने देश भर के लोगों को धक्का पहुंचाया और यह खबर थी देश के जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा के निधन की.. उन्होंने 86 साल की उम्र में भारत देश को टाटा कह दिया है।
टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन नवल टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने बुधवार देर रात करीब 11 बजे अंतिम सांस ली। वे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल की इंटेसिव केयर यूनिट में भर्ती थे और उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे।निधन की जानकारी उद्योगपति हर्ष गोयनका ने सबसे पहले दी। उन्होंने रात 11:24 बजे सोशल मीडिया पर लिखा, ‘घड़ी की टिक-टिक बंद हो गई। टाइटन नहीं रहे। रतन टाटा ईमानदारी, नैतिक नेतृत्व और परोपकार के प्रतीक थे।’रात करीब 2 बजे उनका पार्थिव शरीर अस्पताल से उनके घर ले जाया गया। टाटा का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनका पार्थिव शरीर आज गुरुवार सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक साउथ मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स के हॉल में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है।
रतन टाटा की अधूरी प्रेम कहानी
रतन नवल टाटा का जन्म 28-12-1937 को हुआ था, वे टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा के परपोते और टाटा ग्रुप के सर्वोच्च, उद्योगपति और परोपकारी थे, जिन्होंने अपनी सूझबूझ से टाटा इंडस्ट्री ग्रुप को शिखर पर पहुंचाया। भारत में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो उन्हें नहीं जानता हो। सब की तरह लाखों-करोड़ों लोगों की प्रेरणा वाले रतन टाटा (Ratan Tata) ने भी कभी अपने परिवार के लिए अपने प्यार को कुर्बान कर दिया था।
रतन टाटा का पहला प्यार
सीएनएन के साथ साझा किए गए एक इंटरव्यू में एक बार रतन टाटा ने बताया था कि मुझे 1 नहीं बल्कि 4 बार सीरियस वाला प्यार हुआ था और एक बार तो बात शादी तक पहुंच गई थी, लेकिन उसी दौरान भारत-चीन युद्ध (1962) हो गया।
रतन टाटा उस दौर में अमेरिका में कार्यरत थे, लेकिन उस दौरान भारत में उनकी दादी की तबीयत खराब हो गई और उन्होंने रतन टाटा से मिलने की इच्छा जाहिर की। इसकी वजह से रतन टाटा को वापस भारत लौटना पड़ा। तब उन्होंने सोचा की कुछ वक्त बाद उनकी प्रेमिका भी भारत लौट आएगी और वे दोनों शादी कर लेंगे। लेकिन उसी दौरान भारत-चीन विवाद शुरू हो गया। फिर क्या था उनकी ये प्रेम कहानी केवल कहानी बनकर रह गई।
रतन टाटा ने अपनी इस कहानी के बारे में बहुत कम जगहों पर ही जिक्र किया है, लेकिन जिसने भी ये सुना वह सुनकर हैरान रह गया। उन्हें अपने जीवन में चार बार प्यार हुआ, इसके बावजूद भी वे कंवारे रह गए।
कुत्तों और महंगी कारों के शौकीन रतन टाटा की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई, शिमला और न्यूयॉर्क में हुई। कॉर्नेल विश्वविद्यालय से उन्होंने आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए पूरा करने के बाद अपने पारिवारिक व्यवसाय टाटा स्टील में शामिल हो गए।
रतन टाटा की उपलब्धियां
आजीवन ब्रह्मचारी रहने वाले रतन टाटा ने जब टाटा इंडस्ट्री का नेतृत्व किया तब समूह की वृद्धि 40% बढ़ी, मुनाफा 50% बढ़ा और कंपनी $5.7 बिलियन (1991 में) से बढ़कर $103 बिलियन (2016 में) हो गई। कारोबार को बढ़ाने के लिए उन्होंने कई विदेशी कंपनियों को खरीदा और उन्हें टाटा समूह में विलय कर दिया। वह भारत में F-16 विमान उड़ाने वाले पहले पायलट हैं। उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी को 28 मिलियन डॉलर, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को 50 मिलियन डॉलर का दान दिया है। हमेशा अपने कर्मचारियों का ख्याल रखने वाले, भारत को सस्ती कारें देने वाले उन्हें सरकार द्वारा पद्म भूषण और पद्म विभूषण पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
आपको बता दें कि पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित रतन टाटा 2 दिन पहले 17 अक्टूबर को भी टाटा को ICU में भर्ती किए जाने की खबर थी। हालांकि, उन्होंने ही इसका खंडन करते हुए कहा था कि वे ठीक हैं, रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल पहुंचे हैं। लेकिन दो ही दिन में उन्होंने अंतिम सांस ली और देश ने सही मायने में एक रतन खो दिया।
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