गुजरात के अहमदाबाद निवासी राजदीप सिंह राठौड़ ने अपने पांच महीने के बच्चे के लिए सोशल मीडिया पर लोगों से मदद करने की अपील की थी। राजदीप के बच्चे का नाम धैर्यराज सिंह राठौड़ है। मासूम को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप नामक दुर्लभ बीमारी थी। बच्चे के जन्म के कुछ दिनों बाद ही उन्हें इस बीमारी के बारे में पता चला, जिसके बाद बच्चे के माता-पिता सदमे में आ गए।
कोरोना संकट के इस मुश्किल दौर में तमाम लोग तरह-तरह की परेशानियों से जूझ रहे हैं। इस मुश्किल वक्त में भी लोग एक दूसरे की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला गुजरात से सामने आया है, जहां एक पांच माह का मासूम गंभीर से बीमार से जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा था। लोगों की मदद से मासूम की जान बचाई गई। पिता ने सोशल मीडिया पर अपने लाडले की जान बचाने के लिए मदद की गुहार लगाई थी। पिता की गुहार पर केवल 42 दिनों में ही 16 करोड़ रुपये की धनराशि जमा हो गई।
पिता राजदीप सिंह का ऐसा कहना है “हमारे बेटे की जान बचाने के लिए मदद करने वाले लोग करोड़पति नहीं बल्कि आम लोग हैंं। 2.64 लाख से ज्यादा लोगों ने पैसा दिया। उन्होंने कहा कि जोल्गेन्स्मा इंजेक्शन पर 6 करोड़ तो बस आयात शुल्क था। हालांकिए केंद्र सरकार ने इस आयात शुल्क को माफ कर दिया, जिससे राजदीप का बोझ काफी कम हो गया।” इसी के साथ ही, मासूम धैर्यराज सिंह के इलाज के लिए जोल्गेन्स्मा इंजेक्शन की जरूरत थी। इस इंजेक्शन की कीमत 16 करोड़ रुपये है। इसे दुनिया की सबसे महंगी दवा के रूप में लेबल किया गया है। 16 करोड़ रुपये बहुत बड़ी रकम होती है, जिसका तत्काल प्रबंध कर पाना पिता राजदीप के लिए आसान नहीं था। ऐसे में राजदीप ने इसके लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया और लोगों से आर्थिक मदद देने की गुहार लगाई। राजदीप ने इसमें एक एनजीओ की भी मदद ली।
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