अमूमन सरकारी विभाग का यह नियम है कि जब जब आग लगती है तभी कुआं खोदा जाए।हाल ही में भरूच के कोविड हॉस्पिटल में लगी आग के बाद वड़ोदरा का फायर ब्रिगेड विभाग भी हरकत में है और अस्पतालों में फायर एनओसी की जांच कर रहा है।
कोरोना संक्रमण में गंभीर रूप से बीमार मरीजों को वेंटिलेटर से इलाज दिया जा रहा है, लेकिन यहीं वेंटिलेटर मरीजों के लिए देश भर में जानलेवा भी साबित हो रहे हैं। देश के कई हिस्सों के साथ-साथ गुजरात के अहमदाबाद सूरत राजकोट वड़ोदरा और भरूच के कोविड हॉस्पिटल में भी आग लगने की घटना घट चुकी है। उसके बावजूद वड़ोदरा में कई सरकारी और निजी अस्पतालों के पास फायर एनओसी ही नहीं है। जानकारी के अनुसार 133 अस्पतालों के पास एनओसी नहीं है, जिसमें सरकारी ESI हॉस्पिटल, भाजपा नेताओं के नमो कोविड सेंटर,कॉरपोरेशन का लालबाग अतिथि गृह और 100 से ज्यादा निजी हॉस्पिटल शामिल है। इन दिनों वड़ोदरा के फायर ब्रिगेड द्वारा कोविड अस्पतालों में एनओसी की जांच की जा रही है, और फायर एनओसी नहीं होने पर कई अस्पताल को नोटिस भी दिए गए हैं। इसके अलावा अस्पतालों में मॉकड्रिल कर लगातार फायर ब्रिगेड द्वारा आग जैसी आपात स्थिति से निपटने पर हॉस्पिटल के कर्मचारियों को मार्गदर्शन दिया जा रहा है।
इसी के तहत वड़ोदरा के विभिन्न अस्पतालों में पुलिस के सहयोग से दमकल विभाग द्वारा मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया।सलाटवाड़ा की नायक हॉस्पिटल में आयोजित ऐसी ही एक मॉलड्रिल में कर्मचारियों को आग जैसी आपात स्थिति में कैसे जल्द से जल्द मरीजों को बचाया जाए उस पर मार्गदर्शन दिया गया। साथ ही उन्हें फायर सेफ्टी संसाधनों के इस्तेमाल पर भी जानकारी दी गई।
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