21-03-2023, Tuesday
हर वर्ष पारसी कैलेंडर के पहले महीने की पहली तारीख को पारसी समुदाय के लोग नवरोज मनाते हैं। पारसी नववर्ष ‘नवरोज’ 21 मार्च को मनाया जाता है। असल में पारसियों का केवल एक पंथ-फासली-ही नववर्ष मानता है, मगर सभी पारसी इस त्योहार में सम्मिलित होकर इसे बड़े उल्लास से मनाते हैं, एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और अग्नि मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं।
शाह जमशेदजी ने पारसी धर्म में नवरोज मनाने की शुरुआत की। नव अर्थात् नया और रोज यानि दिन। पारसी धर्मावलंबियों के लिए इस दिन का विशेष महत्व है।
इस दिन पारसी लोग अपने घर की सी़ढ़ियों पर रंगोली सजाते हैं। चंदन की लकडियों से घर को महकाया जाता है। यह सबकुछ सिर्फ नए साल के स्वागत में ही नहीं, बल्कि हवा को शुद्ध करने के उद्देश्य से भी किया जाता है।
इस दिन पारसी मंदिर अगियारी में विशेष प्रार्थनाएं संपन्न होती हैं। इन प्रार्थनाओं में बीते वर्ष की सभी उपलब्धियों के लिए ईश्वर के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। मंदिर में प्रार्थना का सत्र समाप्त होने के बाद समुदाय के सभी लोग एक-दूसरे को नववर्ष की बधाई देते हैं।
हालांकि पारसी समुदाय के लोगों की जीवन-शैली में आधुनिकता और पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव स्पष्टतया देखा जा सकता है। लेकिन पारसी समाज में आज भी त्योहार उतने ही पारंपरिक तरीके से मनाए जाते हैं, जैसे कि वर्षों पहले मनाए जाते थे।
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