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पाकिस्तानी मंत्री की भारत को परमाणु धमकी ; सिंधु जल संधि पर गहराया विवाद

पाकिस्तान के रेल मंत्री हनीफ अब्बासी ने हाल ही में एक भड़काऊ बयान में भारत को परमाणु हमले की खुली धमकी दी है। India Today के अनुसार, अब्बासी ने दावा किया कि पाकिस्तान के पास भारत के खिलाफ 130 मिसाइलें, जिनमें शाहीन, घोरी और गजनवी शामिल हैं, तैयार हैं। यह धमकी भारत द्वारा पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को स्थगित करने के फैसले के जवाब में आई है। अब्बासी ने कहा कि यदि भारत ने पाकिस्तान की जल आपूर्ति रोकी, तो उसे “पूर्ण पैमाने पर युद्ध” के लिए तैयार रहना चाहिए।

पहलगाम हमले का संदर्भ

22 अप्रैल 2025 को, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के नजदीक बैसरन घाटी में आतंकवादियों ने 26 पर्यटकों की हत्या कर दी, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था। Times of India के अनुसार, इस हमले में 10 से अधिक लोग घायल हुए। भारत ने इस हमले का आरोप पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों पर लगाया और जवाब में कई कदम उठाए, जिनमें शामिल हैं:

सिंधु जल संधि को स्थगित करना।

अटारी सीमा पर व्यापार बंद करना।

पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों को निष्कासित करना।

इन कदमों ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि के निलंबन को “युद्ध का कार्य” करार दिया है।

अब्बासी के बयान का विवरण

हनीफ अब्बासी ने अपने बयान में कहा कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार “प्रदर्शन के लिए नहीं” हैं, बल्कि देश भर में गुप्त स्थानों पर छिपाए गए हैं। Aaj Tak के अनुसार, उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान की मिसाइलें भारत को निशाना बनाने के लिए तैयार हैं, और भारत इसीलिए पाकिस्तान पर हमला करने से बच रहा है। अब्बासी ने भारत के हवाई क्षेत्र को बंद करने के पाकिस्तानी कदम का भी जिक्र किया, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि इससे भारत की विमानन उद्योग में दो दिनों में ही अफरा-तफरी मच गई।उन्होंने भारत पर यह भी आरोप लगाया कि वह अपनी सुरक्षा विफलताओं को छिपाने के लिए पहलगाम हमले का दोष पाकिस्तान पर मढ़ रहा है। अब्बासी ने भारत के व्यापार और हवाई क्षेत्र प्रतिबंधों का मजाक उड़ाते हुए कहा कि पाकिस्तान किसी भी आर्थिक कदम का जवाब देने के लिए तैयार है।

 

सिंधु जल संधि का महत्व

सिंधु जल संधि, 1960 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच हस्ताक्षरित, दोनों देशों के बीच जल बंटवारे का एक महत्वपूर्ण समझौता है। इसके तहत:

पूर्वी नदियाँ (रावी, ब्यास, सतलुज): भारत को इनका पूर्ण नियंत्रण।

पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम, चिनाब): पाकिस्तान को प्राथमिक उपयोग, लेकिन भारत 20% पानी रोक सकता है।

भारत ने 23 अप्रैल 2025 को संधि को स्थगित करने का फैसला लिया, जिसके लिए जल शक्ति मंत्रालय ने तीन चरणों की रणनीति बनाई है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा कि पाकिस्तान को “एक बूंद पानी” नहीं मिलेगा। यह कदम पाकिस्तान के लिए गंभीर है, क्योंकि वह अपनी कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए इन नदियों पर निर्भर है।

अन्य पाकिस्तानी नेताओं के बयान

पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तानी नेताओं ने लगातार विवादास्पद बयान दिए हैं:26 अप्रैल 2025: सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने कहा कि मुसलमान और हिंदू दो अलग राष्ट्र हैं, और पाकिस्तान अपनी रक्षा के लिए तैयार है।26 अप्रैल 2025: प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने दावा किया कि भारत बिना सबूत के पाकिस्तान को बदनाम कर रहा है और वह किसी भी पारदर्शी जांच के लिए तैयार है।

यह स्थिति दोनों देशों के लिए अत्यंत चिंताजनक है। हनीफ अब्बासी का परमाणु धमकी वाला बयान न केवल भारत, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए खतरा है। परमाणु हथियारों का जिक्र अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है और इससे गलतफहमी या गलत कदम उठने का जोखिम बढ़ता है।सिंधु जल संधि दोनों देशों के बीच सहयोग का प्रतीक रही है। भारत का इसे स्थगित करने का फैसला समझ में आता है, क्योंकि पहलगाम हमले ने सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाया है। हालांकि, इस तरह के कदमों से पहले अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता या बातचीत पर विचार करना चाहिए। पाकिस्तान को भी आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने चाहिए, क्योंकि इसकी वजह से उसकी विश्वसनीयता प्रभावित होती है।दोनों देशों को उत्तेजक बयानों से बचना चाहिए और विश्व बैंक या संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों के माध्यम से जल विवाद को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए। परमाणु युद्ध की कीमत कोई भी देश नहीं चुका सकता, और शांति ही एकमात्र रास्ता है।