आज भारतीय सेना के द्वारा जून 1984 में अमृतसर के Golden Temple से आतंकवादियों को खदेड़ने के लिए चलाए गए ऑपरेशन “Operation Blue Star” को 37 साल हो चुके हैं। ऑपरेशन ब्लूस्टार का 80 के दशक में भारतीय राजनीति पर बहुत प्रभाव पड़ा था।
ऑपरेशन का उद्देश्य सिख उपदेशक जरनैल सिंह भिंडरावाले और अमृतसर में गोल्डन टेंपल के परिसर में उनके सशस्त्र समर्थकों के बैंड को बेअसर करना था। इस सैन्य कार्रवाई के पीछे उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा के आदेश छुपे हुए थे। 1 जून और 8 जून, 1984 के बीच किए गए ऑपरेशन में कई लोगों की जान चली गई और मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया।
सिख समुदाय के लिए नाराजगी की बात तब बनी थी जब उन लोगों को ऐसा लगा कि यह सब श्रद्धेय मंदिर का अपमान है, और उस के चलते भारत की तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की उनके ही सिख अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
अब इस हत्या ने सिख विरोधी दंगों को जन्म दिया था, जिसमें लगभग 3,000 लोग मारे गए।
यह हमला सिख कौम की पीठ पर नासूर है, जो भरता है लेकिन दर्द बहुत देता है और हर साल खालिस्तान जिंदाबाद कह कर पूरा सिख कौम इस दर्द को कम करने का प्रयास करते हैं। 37 साल पहले श्री अकाल तख्त साहिब और देश के विभिन्न हिस्सों में 37 गुरुद्वारों पर हुए हमले में सिख शहीद हुए।
इसी के साथ ही आज ऑपरेशन ब्लू स्टार की 37वीं बरसी पर श्री अखंड पाठ साहिब के भोग डाले गए। इस दौरान श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कौम के नाम संदेश पढ़ा और इससे पहले पढ़ी गई अरदास में जरनैल सिंह भिंडरावाले, बाबा ठारा सिंह और जरनैल सुबेग सिंह को कौम का शहीद करार दिया। इस दौरान खालिस्तान जिंदाबाद के नारे भी लगे और लाल किले पर झंडा फहराने वाले दीप सिद्धू भी समागम में पहुंचे। श्री हरमंदिर साहिब के अंदर खालिस्तान झंडे और अलगाववादी जरनैल सिंह भिंडरावाले के पोस्टर भी दिखाई दिए। प्रशासन ने पूरे अमृतसर की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है।
अमृतसर की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। स्थानीय पुलिस के अलावा अमृतसर देहात और पीएपी जालंधर के पुलिस बल की शहर के महत्वपूर्ण स्थानों पर तैनाती की गई है। शहर में लगभग सात हजार जवान तैनात हैं। पुलिस कमिश्नर डॉ. सुखचैन सिंह गिल शहर की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं और समय-समय पर बल के सीनियर अधिकारियों के साथ बैठक करके स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं।
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