CATEGORIES

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
Thursday, November 7   8:37:48

55 वर्षों में पहली बार गणतंत्र दिवस परेड के लिए इस बार कोई मुख्य अतिथि होने की संभावना नहीं

7 Jan. Vadodara: दुनियभर में कोरोना वायरस के कहर ने बहुत कुछ बदला है। सुरक्षा की दृष्टी से कई बड़े-बड़े कार्यक्रमों को भी रद्द कर दिया गया है। कोरोना वायरस से बचाव के लिए सोशल डिस्टन्सिंग बेहद जरूरी है। ऐसे में भारत में भी होने वाले गणतंत्र दिवस में कई बदलाव कर दिए गए हैं। भारत में 55 वर्षों में पहली बार गणतंत्र दिवस परेड के लिए इस बार कोई मुख्य अतिथि होने की संभावना नहीं है।

दरअसल इस बार गणतंत्र दिवस पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किये गए थे लेकिन मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन किया और खेद व्यक्त करते हुए कहा कि, वह गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि बनने के लिए भारत का दौरा नहीं कर पाएंगे। उन्होंने ने यह निर्णय अपने देश में नए राष्ट्रीय लॉकडाउन के मद्देनजर लिया, क्योंकि यह कोरोना वायरस के नए और अधिक संक्रामक रूप के कारण है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, किसी भी विदेशी नेता को उस समय आमंत्रित करना मुश्किल होगा, जब कई देश अभी भी महामारी से निपट रहे हैं। यह किसी भी विदेशी नेता को आमंत्रित करने के लिए सही समय नहीं है। इसके अलावा, किसी भी नेता को समारोहों में जाने से भी मना करने के बाद इसे किसी और को आमंत्रित करने के लिए एक अनुशासनहीन इशारे के रूप में देखा जा सकता है।

इससे पहले 1966 में नहीं भेजा गया था किसी को निमंत्रण

1966 में ऐसा पहली बार हुआ था की किसी भी नेता को आमंत्रित नहीं किया गया था। हमारे वाचकों को बता दें कि, इससे पहले 1966 में ताशकंद में 11 जनवरी, 1966 को प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के निधन के कारण कोई निमंत्रण नहीं भेजा गया था। इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली नई सरकार ने 24 जनवरी 1966 को गणतंत्र दिवस परेड से केवल दो दिन पहले शपथ ली थी। वहीं इस साल गणतंत्र दिवस समारोह में महामारी के चलते किसी भी नेता के आने की अम्मीद नही है।

दरअसल भारत के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में आने का निमंत्रण विदेशी गणमान्यों के लिए एक विशेष सम्मान माना जाता है। मुख्य अतिथि का फैसला करते हुए आतिथ्य के साथ रणनीति तैयार होती है। जो कि कई कारकों जैसे रणनीतिक और राजनयिक, व्यावसायिक हित और भू-राजनीति से तय होता है।

भारत सरकार को एक ऑप्शनल गेस्ट यानी वैकल्पिक अतिथि की तलाश करनी थी, इससे पहले 2013 में, ओमान के सुल्तान कबूस बिन सईद अल सैद एक संचार मुद्दे के कारण नहीं आ सके और भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक गणतंत्र दिवस के लिए आए थे। तो वहीं, 2019 में भी ऐसा एक और किस्सा हुआ था की, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नहीं आने के बाद, भारत ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा को आमंत्रित किया, जो गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल हुए थे, लेकिन इस बार कोरोना महामारी को देखते हुए यह संभावना नहीं है।